saanjh aai
- 70 Posts
- 135 Comments
आज मौन धीरे से बोला
छलका कर आँखों से पानी
किसके पास हृदय है ऐसा
जो सुन लेगा मन की वाणी
कहे बेदना
तुम हो ,मैं हूँ
कही सुनी दो में होती है
मैं सुनती हूँ –
कहो कवि तुम मन की वाणी
कवि धड़कन बोल उठी तब
कुछ लोगों की महासभा में
स्वर्ण वर्क के कुछ मीठे से
एक मनुज ने शब्द कहे थे
रितु बदली ,फिर वर्क हटा
अब खोज रहा हूँ
उसका सानी।
शकुन्तला मिश्रा
डिस्क्लेमर: उपरोक्त विचारों के लिए लेखक स्वयं उत्तरदायी हैं। जागरण डॉट कॉम किसी दावे या आंकड़े की पुष्टि नहीं करता है।
Read Comments