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रक्षा सूत्र …..

saanjh aai
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प्रतिकूल परिस्थिति में भी ,
सेवायें जिनकी अतुलनीय !
है जंग और सरहद के बीच
उनको दिन रात सजग रहना ,
जीवन भर बंधे है रक्षा से ,
दृष्टि भी हटे ना लक्ष्यों से !
हिम के उच्च शिखर पर जो
अविराम चले और अड़े रहे !
वे भारत माँ के प्रहरी हैँ !!
“माँ “तभी रात भर सोती है
हम केसर ,चन्दन ,अक्षत की ,
इक रक्षा उनको देतें हैँ !
ताकि हम शान से रह पाएं
उनकी रक्षा से मेरी विजय ,
हम अपनी विजय मानाने को
भारत की शान बढ़ाने को
रक्षा का पर्व मनाएंगे !
“वीरों ” से रक्षित होने को ,
इक रक्षा सूत्र है वीरों का
एक रक्षा सूत्र है “वीरा “का
हम सब आपस में रक्षित हो ,
इक सूत्र इस तरह भी बांधे
कोई भय ना रहे ,कही छल ना रहे !
बस एक मानव का धर्म रहे !
हर मानव से यह धर्म निभे !
हर मानव से यह धर्म निभे !!

रक्षा सूत्र -शकुंतला मिश्रा

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