saanjh aai
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कभी यूँ ही
सोचती हूँ !
कैसे बना यह संसार ?
तब ह्रदय अनुमान करता
सृष्टि है इतनी मनोरम
श्रिष्टि का करता भी होगा !
रोटी से पहले आटा है
आंटा बना है चक्की में
गेहूं है ,वर्षा है ,धरती है ,
सब के कर्ता भी हैं भगवन !
शकुंतला मिश्रा -संसार
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