Poem
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देश में बढ रही है भ्रष्टाचार की आँधी,
लेना होगा तुझे दूसरा जन्म ओ गाँधी।
तेरे आदर्श तेरे मूल्य न जाने कहाँ खो गए,
कुर्सी के लिए हर रोज कतलेआम यहाँ हो रहे,
रोकनी होगी तुझे मेरे देश की बर्बादी,
लेना होगा तुझे दूसरा जन्म ओ गाँधी।
क्या साधू क्या नेता सभी से विश्वास उठ गया,
देश का पैसा विदेशी बैंको में भर गया,
डालर के आगे रूपए ने अपनी कमर है झुका दी,
लेना होगा तुझे दूसरा जन्म ओ गाँधी।
सच्चाई और अहिंसा की हँसी जमाना उडा रहा,
नैतिकता का पाठ किताबों से भी जा रहा,
विदेशी बाजार के सामने स्वदेशी टोपी है जला दी,
लेना होगा तुझे दूसरा जन्म ओ गाँधी।
वैसे तो हर साल हम २ अक्टूबर है मनाते,
झंडा फहराकर तुझे याद करते और छुट्टी मनाते,
पर आज हमनेे तेरी हर बात है भुला दी,
लेना होगा तुझे दूसरा जन्म ओ गाँधी।
—Shalini Garg
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