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गूगल चाचा

Poem
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गूगल चाचा
गूगल चाचा,गूगल चाचा,कोई नहीं आपसा अच्छा,
आप पर मरता है आज ,हर बूढ़ा,जवान और बच्चा।
जब भी कुछ समझ न आए, बस आप ही की तो याद आए,
क्योंकी आप ही तो मेरी हर परेशानी को झट से सुलझाएँ,
मैं क्या पापा भी आप को देख कर ही गाडी चलाए,
मम्मी भी आपको सामने रखकर खाना पकाए।
दादा जी हर बीमारी का नुस्खा आप से पूछकर बतलाएँ
दादी जी भी आपको पढकर मीठे भजन गुनगुनाए।
सब आजकल आपके ही गुणगान गाते जाए,
आप हैं तो अपने को अब कोई अकेला न पाए।
गूगल चाचा आपके सिवा अब कुछ भी तो न भाए,
आप ही तो हम सबके सच्चे दोस्त जो बन पाए।

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