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बेटी के आंसू बहने से ,माँ रोक सकी है कभी नहीं .

! मेरी अभिव्यक्ति !
! मेरी अभिव्यक्ति !
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बेटी मेरी तेरी दुश्मन ,तेरी माँ है कभी नहीं ,

तुझको खो दूँ ऐसी इच्छा ,मेरी न है कभी नहीं .

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नौ महीने कोख में रखा ,सपने देखे रोज़ नए ,

तुझको लेकर मेरे मन में ,भेद नहीं है कभी नहीं .

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माँ बनने पर पूर्ण शख्सियत ,होती है हर नारी की ,

बेटे या बेटी को लेकर ,पैदा प्रश्न है कभी नहीं .

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माँ के मन की कोमलता ही ,बेटी से उसको जोड़े ,

नन्ही-नन्ही अठखेली से ,मुहं मोड़ा है कभी नहीं .

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सबकी नफरत झेल के बेटी ,लड़ने को तैयार हूँ,

पर सब खो देने का साहस ,मुझमे न है कभी नहीं .

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कुल का दीप जलाने को ,बेटा ही सबकी चाहत ,

बड़े-बुज़ुर्गों  की आँखों का ,तू तारा है कभी नहीं .

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बेटे का ब्याह रचाने को ,बहु चाहिए सबको ही ,

बेटी होने पर ब्याहने का ,इनमे साहस है कभी नहीं .

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अपने जीवन ,घर की खातिर ,पाप कर रही आज यही ,

माफ़ न करना अपनी माँ को ,आना गर्भ में कभी नहीं .

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रो-रोकर माँ कहे ”शालिनी ”वसुंधरा भी सदा दुखी ,

बेटी के आंसू बहने से ,माँ रोक सकी है कभी नहीं .

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शालिनी कौशिक

[कौशल ]

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