! मेरी अभिव्यक्ति !
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हे प्रभु तुमने
ये क्या किया
बेटी को इस धरा पे ,क्यूँ जन्म है दिया ?
तू कुछ नहीं कर सकती
कमज़ोर हूँ तेरे ही कारण
कोई बेटी ही
शायद
ये न सुने
अपने पिता से !
फिर जन्म दिया क्यूँ
बेटी को
हे प्रभु तुमने ?
बेटी को बना तुमने
दुःख दे दिए हज़ारों
बेटी ही है इस धरा पर
मारो कभी दुत्कारो
सामर्थ्य दिखाने की
यही राह क्यूँ चुनी
हे प्रभु तुमने ?
जब बैठे थे बनाने
हाथों से अपने बेटी
अपनों से भी लड़ने की
ताकत से मलते मिटटी
क्यूँ धैर्य ,सहनशीलता ,दुःख
ही भरे थे उसमें
हे प्रभु तुमने ?
…………………..
शालिनी कौशिक
[कौशल ]
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