Menu
blogid : 12172 postid : 877328

बेटी मेरी तेरी दुश्मन ,तेरी माँ है कभी नहीं ,

! मेरी अभिव्यक्ति !
! मेरी अभिव्यक्ति !
  • 791 Posts
  • 2130 Comments

बेटी मेरी तेरी दुश्मन ,तेरी माँ है कभी नहीं ,
तुझको खो दूँ ऐसी इच्छा ,मेरी न है कभी नहीं .
…………………………………………………………….
नौ महीने कोख में रखा ,सपने देखे रोज़ नए ,
तुझको लेकर मेरे मन में ,भेद नहीं है कभी नहीं .
…………………………………………………………
माँ बनने पर पूर्ण शख्सियत ,होती है हर नारी की ,
बेटे या बेटी को लेकर ,पैदा प्रश्न है कभी नहीं .
……………………………………………………………..
माँ के मन की कोमलता ही ,बेटी से उसको जोड़े ,
नन्ही-नन्ही अठखेली से ,मुहं मोड़ा है कभी नहीं .
……………………………………………………………….
सबकी नफरत झेल के बेटी ,लड़ने को तैयार हूँ,
पर सब खो देने का साहस ,मुझमे न है कभी नहीं .
…………………………………………………………..
कुल का दीप जलाने को ,बेटा ही सबकी चाहत ,
बड़े-बुज़ुर्गों की आँखों का ,तू तारा है कभी नहीं .
……………………………………………………………..
बेटे का ब्याह रचाने को ,बहु चाहिए सबको ही ,
बेटी होने पर ब्याहने का ,इनमे साहस है कभी नहीं .
………………………………………………………………….
अपने जीवन ,घर की खातिर ,पाप कर रही आज यही ,
माफ़ न करना अपनी माँ को ,आना गर्भ में कभी नहीं .
……………………………………………………………………
रो-रोकर माँ कहे ”शालिनी ”वसुंधरा भी सदा दुखी ,
बेटी के आंसू बहने से ,माँ रोक सकी है कभी नहीं .
…………………………………………………………………..
शालिनी कौशिक
[कौशल ]

Read Comments

    Post a comment

    Leave a Reply