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यही कामना हों प्रफुल्लित आओ मनाएं हर क्षण को .-२०१६ शुभ हो

! मेरी अभिव्यक्ति !
! मेरी अभिव्यक्ति !
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अमरावती सी अर्णवनेमी पुलकित करती है मन मन को ,
अरुणाभ रवि उदित हुए हैं खड़े सभी हैं हम वंदन को .

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अलबेली ये शीत लहर है संग तुहिन को लेकर  आये  ,
घिर घिर कर अर्नोद छा रहे कंपित करने सबके तन को .

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मिलजुल कर जब किया अलाव  गर्मी आई अर्दली बन ,
अलका बनकर ये शीतलता  छेड़े जाकर कोमल तृण को .

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आकंपित हुआ है जीवन फिर भी आतुर उत्सव को ,
यही कामना हों प्रफुल्लित आओ मनाएं हर क्षण को

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पायें उन्नति हर पग चलकर खुशियाँ मिलें झोली भरकर ,
शुभकामना देती ”शालिनी”मंगलकारी हो जन जन को .

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शालिनी कौशिक
[कौशल]


शब्दार्थ :अमरावती -स्वर्ग ,इन्द्रनगरी ,अरुणिमा -लालिमा ,अरुणोदय-उषाकाल ,अर्दली -चपरासी ,अर्नोद -बादल ,तुहिन -हिम ,बर्फ ,अर्नवनेमी -पृथ्वी

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