Menu
blogid : 12172 postid : 1299604

शाईस्तगी को भूल ये सत्ता मद में चूर हैं ,

! मेरी अभिव्यक्ति !
! मेरी अभिव्यक्ति !
  • 791 Posts
  • 2130 Comments

तानेज़नी पुरजोर है सियासत की गलियों में यहाँ ,
ताना -रीरी कर रहे हैं सियासतदां बैठे यहाँ .
…………………………………………….
इख़्तियार मिला इन्हें राज़ करें मुल्क पर ,
ये सदन में बैठकर कर रहे सियाहत ही यहाँ .
……………………………….
तल्खियाँ इनके दिलों की तलफ्फुज में शामिल हो रही ,
तायफा बन गयी है देखो नेतागर्दी अब यहाँ .
……………………………………….
बना रसूम ये शबाहत रब की करने चल दिए ,
इज़्तिराब फैला रहे ये बदजुबानी से यहाँ .
……………………………………………..
शाईस्तगी को भूल ये सत्ता मद में चूर हैं ,
रफ्ता-रफ्ता नीलाम हशमत मुल्क की करते यहाँ .
…………………………………………………….
जिम्मेवारी ताक पर रख फिरकेबंदी में खेलते ,
इनकी फितरती ख़लिश से ज़ाया फ़राखी यहाँ .
……………………………………………….
देखकर ये रहनुमाई ताज्जुब करे ”शालिनी”
शास्त्री-गाँधी जी जैसे नेता थे कभी यहाँ .
………………………………………………
शब्दार्थ :-तानेजनी -व्यंग्य ,ताना रीरी -साधारण गाना ,नौसीखिए का गाना
तलफ्फुज -उच्चारण ,सियाहत -पर्यटन ,तायफा -नाचने गाने आदि का व्यवसाय करने वाले लोगों का संघटित दल ,रसूम -कानून ,शबाहत -अनुरूपता ,इज़्तिराब-बैचनी ,व्याकुलता ,शाईस्तगी-शिष्ट तथा सभ्य होना ,हशमत -गौरव ,ज़ाया -नष्ट ,फ़राखी -खुशहाली

शालिनी कौशिक
[कौशल ]

Read Comments

    Post a comment

    Leave a Reply