Menu
blogid : 12172 postid : 1388531

सुप्रीम कोर्ट से टक्कर लेती खाप पंचायतें

! मेरी अभिव्यक्ति !
! मेरी अभिव्यक्ति !
  • 791 Posts
  • 2130 Comments

सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को खाप पंचायत को लेकर बड़ा फैसला दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने खाप पंचायतों को झटका देते हुए कहा कि शादी को लेकर खाप पंचायतों के फरमान गैरकानूनी है। अगर दो बालिग अपनी मर्जी से शादी कर रहे हैं, तो कोई भी इसमें हस्तक्षेप नहीं कर सकता है। सुप्रीम कोर्ट ने आगे यह भी कहा है कि जब तक केंद्र सरकार इस मसले पर कानून नहीं लाती तब तक यह आदेश प्रभावी रहेगा, किन्तु लगता है खाप पंचायतें भी सुप्रीम कोर्ट के खिलाफ कमर कसकर बैठी हैं.

 

 

सुप्रीम कोर्ट के अनुसार दो बालिगों की अपनी मर्जी की शादी में किसी को हस्तक्षेप का अधिकार नहीं है, किन्तु गठवाला खाप के बहावड़ी थांबेदार चौधरी बाबा श्याम सिंह का कहना है- ”सगोत्रीय विवाह मंजूर नहीं होगा, क्योंकि इससे संस्कृति को खतरा है. अपने गोत्र को बचाकर कहीं भी शादी की जा सकती है.”

 

सुप्रीम कोर्ट ने जो निर्णय दिया वह हिन्दू विवाह अधिनियम १९५५ की रौशनी में दिया, जिसमें सगोत्रीय व सप्रवर विवाह मान्य है, किन्तु खाप जिस रौशनी में काम करती है, प्राचीन हिन्दू धर्मशास्त्रों में रहा उनका विश्वास है, जिसके अनुसार हिन्दुओं में यह विश्वास है कि उनमे से प्रत्येक किसी न किसी ऋषि की संतान है.

 

एक ऋषि की संतान का गोत्र एक ही होता है. दूसरे शब्दों में एक ऋषि की पुरुष परंपरा में समस्त वंशजों का एक ही गोत्र होता है. यह गोत्र है उस पूर्वज ऋषि का नाम. गोत्र की अन्य व्याख्याएं भी दी गयी हैं. संभवतः प्रारम्भ में गोत्र का अर्थ था ‘बन्ध, जो भी अन्य व्याख्याएं गोत्र की रही हों. यह स्पष्ट है कि स्मृतियों व् गृहसूत्रों के काल में सगोत्रीय विवाह वर्जित थे. अंग्रेजी शासन काल में भी प्राप्त सूचनाओं के अनुसार सगोत्रीय  अमान्य रहे, किन्तु हिन्दू विवाह अधिनियम १९५५ ने इन्हें मान्यता दे दी. अब खाप पंचायतें सुप्रीम कोर्ट के फैसले से असंतुष्‍ट हैं.

Read Comments

    Post a comment

    Leave a Reply