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अपने सामने रखके आईना बर्बाद देश को कह गए हैं .

! मेरी अभिव्यक्ति !
! मेरी अभिव्यक्ति !
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भाजपा-संघ बैठकः मोदी का नाम तय, समय पर सस्पेंस

अपने ख्वाबों को ये ,कुछ यूँ देते अंजाम ,

छीन निवाला बच्चों का करते लूट बबाल ,

करते लूट बबाल करोड़ों फूंके खुद पर

असली छूना कठिन चढ़ें कल्पनाओं के रथ पर .

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मधु का छत्ता कहने पर देश को माँ हैं कहते ,

ऐसी तुलना देख मगरमच्छ टसुएँ बहते ,

उसी देश को अपने मुख से कह गए बर्बाद

ये कहने पर क्यूं नहीं शब्द वे आये याद .

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”देश माँ है मधुमक्खी का छत्ता नहीं ”,

बर्बाद कहने में माँ को क्यूं दिल दुखा नही ,

माँ की तरक्की औलादों के दम से पाए तरक्की ,

क्यूं ऐसा कह बनाते हमको आप हैं शक्की .

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बढ़ रहे हैं आज निरंतर जग में हिंदुस्तानी ,

भारतीय दिमाग की ताकत सारे विश्व ने मानी ,

जिसके बेटे इस दुनिया में झंडे अपने गाड़ रहे

उसका माथा आज गर्व से क्यूं नहीं ऊँचा कहें ?

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बहक गए हैं ,फिसल गए हैं ,

चिढ में अपनी भटक गए हैं ,

अपने सामने रखके आईना

बर्बाद देश को कह गए हैं .

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शालिनी कौशिक

[कौशल ]

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