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आ रहे हैं तेरे दर पर ,आगे बढ़कर हाथ मिला .
दिल मिले भले न हमसे ,आगे बढ़कर हाथ मिला .
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घर तेरे आकर भले हम खून रिश्तों का करें ,
भूल जा तू ये नज़ारे ,आगे बढ़कर हाथ मिला .
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जाहिरा तुझसे गले मिल भीतर चलायें हम छुरियां ,
क्या करेगा देखकर ये,आगे बढ़कर हाथ मिला .
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हम सदा से ही निभाते दोस्त बनकर दुश्मनी ,
तू मगर है दोस्त अपना,आगे बढ़कर हाथ मिला .
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घर तेरा गिरने के दुःख में आंसू मगरमच्छी बहें,
पर दुखी न दिल हमारा,आगे बढ़कर हाथ मिला .
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आग की लपटों से घिरकर तेरे अरमां यूँ जलें ,
मिल गयी ठंडक हमें ,अब आगे बढ़कर हाथ मिला .
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जिंदगी में तेरी हमने क्या न किया ”शालिनी ”,
भूल शहादत को अपनी, आगे बढ़कर हाथ मिला .
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शालिनी कौशिक
[कौशल ]
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