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शीश झुकाती आज ”शालिनी ”अहर्नीय के चरणों में ,

! मेरी अभिव्यक्ति !
! मेरी अभिव्यक्ति !
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अर्पण करते स्व-जीवन शिक्षा की अलख जगाने में ,
रत रहते प्रतिपल-प्रतिदिन शिक्षा की राह बनाने में .
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आओ मिलकर करें स्मरण नमन करें इनको मिलकर ,
जिनका जीवन हुआ सहायक हमको सफल बनाने में .
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जीवन-पथ पर आगे बढ़ना इनसे ही हमने सीखा ,
ये ही निभाएं मुख्य भूमिका हमको राह दिखाने में .
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खड़ी बुराई जब मुहं खोले हमको खाने को तत्पर ,
रक्षक बनकर आगे बढ़कर ये ही लगे बचाने में .
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मात-पिता ये नहीं हैं होते मात-पिता से भी बढ़कर ,
गलत सही का भेद बताकर लगे हमें समझाने में .
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पुष्प समान खिले जब शिष्य प्रफुल्लित मन हो इनका ,
करें अनुभव गर्व यहाँ ये उसको श्रेय दिलाने में .
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शीश झुकाती आज ”शालिनी ”अहर्नीय के चरणों में ,
हुए सहाय्य ये ही सबके आगे कदम बढ़ाने में .
शालिनी कौशिक
[कौशल ]

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