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संविधान पीठ के हवाले -सुप्रीम कोर्ट के सवाल-कानूनी स्थिति प्रश्न -6

! मेरी अभिव्यक्ति !
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प्रश्न -६ -क्या सरकार स्वयं से माफ़ी देने के अधिकार का इस्तेमाल कर सकती है या इसके लिए कानून में तय प्रक्रिया का पालन करना अनिवार्य है ?

कानूनी स्थिति -सरकार स्वयं से माफ़ी देने के अधिकार का इस्तेमाल कर सकती है .इस सम्बन्ध में धारा ४३२ [१] में कहा गया है कि-

”जब किसी व्यक्ति को किसी अपराध के लिए दंडादेश दिया जाये तब समुचित सरकार किसी समय ,शर्तों के बिना या ऐसी शर्तों पर जिन्हें दण्डादिष्ट व्यक्ति स्वीकार करे ,उसके दंडादेश के निष्पादन का निलंबन या जो दंडादेश उसे दिया गया है उसका पूरे का या उसके किसी भाग का परिहार कर सकती है .”

किन्तु जहाँ उसके लिए आवेदन किया गया है वहां धारा ४३२ कहती है –

[२] जब कभी समुचित सरकार के दंडादेश के निलंबन या परिहार के लिए आवेदन किया जाया तब समुचित सरकार उस न्यायालय के पीठासीन न्यायाधीश से ,जिसके समक्ष दोषसिद्धि हुई थी या जिसके द्वारा उसकी पुष्टि की गयी थी ,अपेक्षा कर सकेगी कि वह इस बारे में कि आवेदन मंजूर किया जाये या नामंजूर किया जाये ,अपनी राय ऐसी राय के लिए अपने कारणों सहित कथित करे और अपनी राय के कथन के साथ विचारण के अभिलेख की या उसके ऐसे अभिलेख की ,जैसा अस्तित्व में हो ,प्रमाणित प्रतिलिपि भी भेजे .

[३] यदि कोई शर्त ,जिस पर दंडादेश का निलंबन या परिहार किया गया हो ,समुचित सरकार की राय में पूरी न हुई हो ,तो समुचित सरकार निलंबन या परिहार को रद्द कर सकेगी और तब ,यदि वह व्यक्ति ,जिसके पक्ष में दंडादेश का निलंबन या परिहार किया गया ,मुक्त हो तो वह किसी पुलिस अधिकारी द्वारा वारंट के बिना गिरफ्तार किया जा सकेगा और दंडादेश के अनवसित भाग को भोगने के लिए प्रतिप्रेषित किया जा सकेगा .

[४] वह शर्त जिस पर दंडादेश का निलंबन या परिहार इस धारा के अधीन किया जाये ,ऐसी हो सकती है जो उस व्यक्ति द्वारा ,जिसके पक्ष में दंडादेश का निलंबन या परिहार किया जाये ,पूरी की जाने वाली हो या ऐसी हो सकेगी जो उसकी इच्छा के अधीन न हो .

[५] समुचित सरकार दण्डादेशों के निलंबन के बारे में ,और उन शर्तों के बारे में जिन पर अर्जियां उपस्थित की और निपटाई जानी चाहिए ,साधारण नियमों पर विशेष आदेशों द्वारा निदेश दे सकेगी –

परन्तु १८ वर्ष से अधिक की आयु के किसी पुरुष के विरुद्ध किसी दंडादेश की दशा में [जो जुर्माने के दंडादेश से भिन्न हो ] दण्डादिष्ट व्यक्ति द्वारा या उसकी ओर से किसी अन्य व्यक्ति द्वारा दी गयी कोई ऐसी अर्जी तब तक ग्रहण नहीं की जाएगी जब तक दण्डादिष्ट व्यक्ति जेल में न हो ,तथा

[क] जहाँ ऐसी अर्जी दण्डादिष्ट व्यक्ति द्वारा दी जाती है वहां जब तक वह जेल के भारसाधक अधिकारी की मार्फ़त उपस्थित न की जाये ,अथवा

[ख] जहाँ ऐसी अर्जी किसी अन्य व्यक्ति द्वारा दी जाये वहां जब तक उसमें यह घोषणा न हो कि दण्डादिष्ट व्यक्ति जेल में है .

इस प्रकार समुचित सरकार को दंडादेश के लघुकरण या परिहार के लिए आवेदन किये जाने और सशर्त निलंबन या परिहार किये जाने की स्थिति में कानून द्वारा तय प्रक्रिया का पालन किया जाना अनिवार्य है किन्तु यदि उसने बिना शर्त या बिना आवेदन निलंबन या परिहार किया है तो वह कानून द्वारा नियत प्रक्रिया का पालन करने के लिए बाध्य नहीं है .

शालिनी कौशिक

[कानूनी ज्ञान ]

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