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हमारे घर के पास अभी हाल ही में एक मकान बना है. अभी तो उसकी पुताई का काम होकर निबटा ही था कि क्या देखती हूँ कि उस पर एक किसी ”शादी विवाह, पैम्फलेट आदि बनाने का विज्ञापन चिपक गया. बहुत अफ़सोस हो रहा था कि आखिर लोग मानते क्यों नहीं? क्यूं नई दीवार पर पोस्टर लगाकर उसे गन्दा कर देते हैं?
यही नहीं हमारे घर से कुछ दूर एक आटा चक्की है और जब वह चलती है, तो उसके चलने से आस-पास के सभी घरों में कुछ हिलने जैसा महसूस होता है. मुझे ये भी लगता है कि जब हमारे घर के पास रुकती कोई कार हमारे सिर में दर्द कर देती है, तब क्या चक्की का चलना आसपास वालों के लिए सिर दर्द नहीं है? फिर वे क्यूं कोई कार्रवाई नहीं करते?
मेरे इन सभी प्रश्नों के उत्तर मेरी बहन मुझे देती है कि पहले तो लोग जानते ही नहीं कि उनके इस सम्बन्ध में भी कोई अधिकार हैं और दूसरे ये कि लोग कानूनी कार्रवाई के चक्कर में पड़ना ही नहीं चाहते. क्योंकि ये बहुत लम्बी व खर्चीली है, किन्तु ये तो समस्या का समाधान नहीं है. इस तरह तो हम हर जगह अपने को झुकने पर मजबूर कर देते हैं और चलिए थोड़ी देर कोई मशीनरी चलनी हो तो बर्दाश्त की जा सकती है, किन्तु सदैव के लिए तो नहीं.
जहां तक पोस्टर आदि की बात है, वे सभ्यता की सीमा में हों तो अपनी विवशता मान सह लेंगे, किन्तु जैसे आजकल की फिल्मों के पोस्टर होते हैं, उन्हें तो १ सेकंड के लिए भी देखना मुश्किल है फिर अपनी ही दीवार पर. ऐसे में कार्यवाही के बिना कुछ भी संभव नहीं.
पोलक के अनुसार- ”बिना विधिक औचित्य के किसी की भूमि पर या उससे सम्बंधित किसी अधिकार में हस्तक्षेप करना उपताप कहलाता है.”
ब्लैकस्टोन के अनुसार- ”उपताप ऐसा कृत्य है, जिससे किसी व्यक्ति को आघात, असुविधा या क्षति होती है.”
आप सभी उपताप जानते हों या न हों, किन्तु nuisance अवश्य जानते होंगे. ये दो प्रकार के होते हैं, एक सार्वजानिक उपताप और एक व्यक्तिगत उपताप. सार्वजनिक उपताप भारतीय दंड संहिता की धारा २६८ में वर्णित है. किन्तु मैं जिस उपताप की बात कर रही हूँ वह व्यक्तिगत उपताप हैं और यह मूल रूप से व्यक्ति या व्यक्तियों को प्रभावित करता है.
यह ऐसा कार्य या चूक है जिससे किसी की संपत्ति के स्वामी या अधिभोक्ता के अधिकारों पर क्षतिकारी प्रभाव पड़ता है या उनकी संपत्ति को हानि पहुँचती है या उनके सुख-सुविधा, स्वास्थ्य में प्रत्यक्ष हस्तक्षेप होता है, जो कि अनुचित होता है. इस मामले में वादी को निम्न उपचार उपलब्ध हैं-
१- उपताप का उपशमन [Abatement ]
२- क्षतिपूर्ति [damages ]
३- निषेधाज्ञा [injunction ]
– पहले उपचार में वादी उपताप को स्वयं हटा सकता है, जैसे किसी और के पेड़ की टहनी आदि का वादी के घर में लटकने पर उन्हें हटाने का अधिकार उसे है.
– दूसरे उपचार में वादी वाद दायर कर न्यायालय से क्षतिपूर्ति प्राप्त कर सकता है.
– तीसरे उपचार में वादी उपताप को रुकवाने के लिए न्यायालय से निषेधाज्ञा प्राप्त कर सकता है.
अब ये आप सभी के ऊपर है कि कानून से अधिकार प्राप्त होने पर भी आप उपताप को हटाते हैं या झेलते हैं.
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