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अगले सप्ताह जम्मू कश्मीर में हो जाएगा सरकार का गठन-और ये है सिद्धांतो का पतन भाजपा के

! मेरी अभिव्यक्ति !
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जम्मू-कश्मीर में सरकार गठन पर पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) और भाजपा के बीच सहमति बन गई है। इसके तहत पीडीपी नेता मुफ्ती मोहम्मद सईद का सीएम बनना तय हुआ है। एक हफ्ते में सरकार बनने की संभावना है।

मोदी से मिलेंगे मुफ्ती: मुफ्ती सईद अगले हफ्ते पीएम नरेंद्र मोदी से मुलाकात करेंगे और तभी सरकार गठन की घोषणा होने की संभावना है।

विवादित मुद्दों पर बात बनी: मुंबई में एक हफ्ता बिताकर शुक्रवार को कश्मीर लौटे मुफ्ती सईद के एक निकटवर्ती सूत्र ने बताया कि दोनों दलों में सभी विवादित मुद्दों पर सहमति बन गई। इनमें अनुच्छेद 370, सशस्त्र बल विशेष शक्तियां अधिनियम और पश्चिमी पाक शरणार्थियों की स्थिति जैसे मुद्दे शामिल हैं।

भाजपा ने धारा 370 पर अपनी घोषित नीति में बदलाव किया है। जम्मू कश्मीर को विशेष राज्य का दर्जा देने वाले संविधान के इस अनुच्छेद को हटाने के बजाए पार्टी पहले इस पर देशव्यापी चर्चा की बात करने लगी फिर
प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार नरेन्द्र मोदी और राष्ट्रीय अध्यक्ष राजनाथ सिंह ने जम्मू रैली में नीतियों में बदलाव के साफ संकेत दिए और अब ३७० हटाने की बात का खुलकर विरोध करने वाली पी डी पी से जुड़ने को तैयार हो गयी जिसका एक साफ मतलब यह भी है कि अब जम्मू -कश्मीर में सशस्त्र बल विशेष शक्तियां अधिनियम भी लागू होने नहीं जा रहा है।
संविधान का अनुच्छेद ३७० जबसे अस्तित्व में आया है विवादों में है और सम्पूर्ण भारत में जम्मू-कश्मीर को छोड़कर कोई भी इसके पक्ष में नहीं है और न ही हो सकता है पहले भाजपा नेता सैय्यद शाहनवाज़ हुसैन ने सत्ता में आने पर इसे रद्द करने की बात कही और फिर इस पर संविधान की स्थिति को समझकर अपने रुख में परिवर्तन की बात करने लगे।
BJP to revoke Article 370 after coming to power: Shahnawaz Hussain

जिसके बारे में विकिपीडिया पर उपलब्ध जानकारी के अनुसार स्थिति ये है –
Amendment of Article 370[edit]

Under Article 370(3), consent of state legislature and the constituent assembly of the state are also required to amend Article 370. Now the question arises, how can we amend Article 370 when the Constituent Assembly of the state no longer exists? Or whether it can be amended at all? Some jurists say it can be amended by an amendment Act under Article 368 of the Constitution and the amendment extended under Article 370(1). But it is still a mooted question .
अर्थात अनु .370 [3] के अनुसार –
-इस अनुच्छेद के पूर्वगामी उपबंधों में किसी बात के होते हुए भी ,राष्ट्रपति लोक अधिसूचना द्वारा घोषणा कर सकेगा कि यह अनुच्छेद प्रवर्तन में नहीं रहेगा या ऐसे अपवादों और उपानतरनो सहित ही और ऐसी तारीख से ,जो विनिर्दिष्ट करें ,प्रवर्तन में रहेगा .
परन्तु राष्ट्रपति द्वारा ऐसी अधिसूचना जारी किये जाने से पहले खंड[२] में निर्दिष्ट उस राज्य की संविधान सभा की सिफारिश आवश्यक होगी .
.और खंड [२] कहता है –
*[२] यदि खंड [१] के उपखंड [ख] के पैरा [२] में या उस खंड के उपखंड [घ] के दूसरे परन्तुक में निर्दिष्ट उस राज्य की सरकार की सहमति ,उस राज्य का संविधान बनाने के प्रयोजन के लिए संविधान सभा के बुलाये जाने से पहले दी जाये तो उसे ऐसी संविधान सभा के समक्ष ऐसे विनिश्चय के लिए रखा जायेगा जो वह उस पर करे .
और जहाँ तक वहां की संविधान सभा की बात है तो १ मई १९५१ को जम्मू कश्मीर के लिए पृथक संविधान सभा बनाने की उद्घोषणा युवराज कर्ण सिंह ने की जो ३१ अक्टूबर १९५१ को अस्तित्व में आई और 21 अगस्त 1952 को उसने युवराज कर्ण सिंह को सदर-ए- रियासत के रूप में निर्वाचित किया .इस प्रकार जम्मू-कश्मीर राज्य में राजाओं का शासन समाप्त हो गया और राज्य का प्रधान निर्वाचित व्यक्ति होने लगा .संविधान सभा के गठन के उपरांत ४० हज़ार की आबादी पर एक चुनाव क्षेत्र बना .७५ चुनाव क्षेत्रों से ७५ प्रतिनिधि आये इनमे ७३ पर शेख की नॅशनल कॉन्फ्रेंस निर्विरोध जीती तथा दो पर उसने चुनाव जीते २४ सीटें पाक अधिकृत कश्मीर के लिए सुरक्षित छोड़ी गयी जो अभी तक नहीं भरी जा सकी हैं .
वहां की तत्कालीन संविधान सभा के सदस्यों की सूची निम्नलिखित है –
Members of J&K Constituent Assembly

Members of J&K Constituent Assembly

S.No.
Members
Constituency
1.
Maulana Mohammad Sayeed
Masudi Amira Kadal
2.
Sheikh Mohammed Abdullah
Hazratbal
3.
Bakshi Ghulam Mohammed
Safa Kadal
4
Mirza Mohammed Afzal Beg
Anantnag
5
Girdhari Lal Dogra
Jasmergarh
6
Sham Lal Saraf Habba
Kadal
7
Abdul Aziz Shawl
Rajouri
8
Abdul Gani Trali
Rajpora
9
Abdul Gani Goni
Bhalesa
10
Syed Abdul Qadus
Biruwa
11
Bakshi Abdul Rashid
Charar-i-Sharief
12
Abdul Kabir Khan
Bandipora (Gurez)
13
Abdul Khaliq
Saniwara
14
Syed Allaudin Gilani
Handwara
15
Assad Ullah
Mir Ramban
16
Bhagat Ram Lander
Tikri
17
Bhagat Chhajju Ram
Ranbirsinghpora
18
Sardar Chela Singh
Chhamb
19
Chuni Lal Kotwal
Bhaderwah
20
Durga Prashad Dhar
Kulgam
21
Ghulam Ahmad Mir
Dachinpara
22
Master Ghulam Ahmed
Haveli
23
Ghulam Ahmad Dev
Doda
24
Pirzada Ghulam Gilani
Pampore
25
Ghulam Hassan Khan
Narwah
26
Ghulam Hassan Bhat
Nandi
27
Ghulam Hassan Malik
Devasar
28
Pir Ghulam Mohammad Masoodi
Tral
29
Ghulam Mohammad Sadiq
Tankipora
30
Mirza Ghulam Mohammad Beg
Naubag Brang Valley
31
Ghulam Mohammad Butt
Pattan
32
Ghulam Mohi-ud-Din Khan
Khansahib
33
Ghulam Mohi-ud-Din Hamdani
Khanyar
34
Mirwaiz Ghulam Nabi Hamdani
Zaddibal
35
Ghulam Nabi Wani
Darihgam
36
Ghulam Nabi Wani
Lolab
37
Ghulam Qadir Bhat
Kangan
38
Ghulam Qadir Masala
Drugmulla
39
Ghulam Rasool Sheikh
Shopian
40
Ghulam Rasool Kar
Hamal
41
Ghulam Rasool Kraipak
Kishtwar
42
Hakim Habibullah Khan
Sopore
43
Hem Raj Jandial
Ramnagar
44
Sardar Harbans Singh Azad
Baramulla
45
Syed Ibrahim Shah
Kargil
46
Ishar Devi Maini
Jammu city (Northern)
47
Janki Nath Kakroo
Kothar
48
Jamal-ud-Din
Drahal
49
Maulvi Jamaitali Shah
Mendhar
50
Kushak Bakula
Leh
51
Kishen Dev Sethi
Nowshera
52
Sardar Kulbir Singh
Poonch city
53
Mohammad Afzal Khan
Uri
54
Sheikh Mohammad Akbar
Tangmarg
55
Mohammad Anwar Shah
Karnah
56
Mohammad Ayub Khan
Arnas
57
Syed Mohammad Jalali
Badgam
58
Pir Mohd Maqbool Shah
Ramhal
59
Syed Mir Qasim Doru
Shahabad
60
Mubarik Shah
Magam
61
Mansukh Rai
Reasi
62
Mahant Ram
Basohli
63
Moti Ram Baigra
Udhampur
64
Mahasha Nahar Singh
Bishnah
65
Noor Dar
Kowapora
66
Noor-ud-Din Sufi
Ganderbal
67
Major Piara Singh
Kathua
68
Ram Chand Khajuria
Billawar
69
Lala Ram Piara Saraf
Samba
70
Ram Devi
Jammu city (Southern)
71
Ram Rakha Mal
Kahanachak
72
Wazir Ram Saran Jandrah
Garota
73
Ram Lal
Akhnoor
74
Sagar Singh
Parmandal
75
Sona Ullah Sheikh
Pulwama
एक देश में दो संविधान दो प्रधानमंत्री व् दो ध्वज को लेकर इसका विरोध भी किया गया किन्तु अनुच्छेद ३७० के अंतर्गत यह व्यवस्था थी और संविधान सभा चुनी हुई संस्था थी जो राज्य के लोगों की इच्छा को दर्शा रही थी परन्तु शेख अब्दुल्लाह ने अपने लोगों को ये बताया कि संविधान सभा सर्वोच्च संस्था है जो कि भारतीय संवैधानिक बाध्यताओं से स्वतंत्र है .शेख अब्दुल्लाह की ऐसी ही बयानबाजी व् अन्य गतिविधियों के कारण मई १९७१ में उन्हें राज्य से निष्कासित किया गया उसके बाद वे कभी विपक्ष में बोलते थे कभी पक्ष में .भारत और प्लैय्बिसित फ्रंट के प्रतिनिधियों के बीच बहुत सी वार्ताएं हुई और अंत में २४ फरवरी १९७५ को एक करार की घोषणा की गयी इस समझौते का शुद्ध राजनितिक परिणाम यह हुआ कि जनमत संग्रह की मांग को शेख अब्दुल्लाह और उनके अनुयायिओं ने त्याग दिया और यह तय किया गया कि जम्मू कश्मीर राज्य की भारतीय संविधान के अनुच्छेद ३७० के उपबंधों के अधीन विशेष स्थिति बनी रहेगी
और अब रही इसके लिए अनुच्छेद ३६८ के संशोधन की बात तो ये भी सहज नहीं कहा जा सकता क्योंकि इसके लिए विशेष बहुमत व् आधे से अधिक राज्यों का अनुसमर्थन आवश्यक है जो कि वर्तमान राजनीतिक विचारधारा के इन अनुयायिओं द्वारा जुटाया जाना नामुमकिन नहीं तो कठिन अवश्य कहा जा सकता है इसलिए शाहनवाज़ जी के द्वारा कही गयी बात कि ३७० को रद्द करेंगे पूरी होना असम्भव लगने पर भाजपा ने न केवल अपना रुख पलटा बल्कि अब तो वहां सत्ता हासिल करने के लिए इसके हटाने का विरोध करने वाली पार्टी को ही समर्थन देने चल दी जिसका साफ संदेश यह भी है कि अब वहां सशस्त्र बल विशेष शक्तियां अधिनियम लागू होने की कोई सम्भावना नहीं रह गयी है जिसके बारे में पिछली सरकार के रक्षा मंत्री कोई फैसला नहीं ले पाये उसके लिए अबकी सरकार के रक्षा मंत्री भी असमर्थ ही रहने वाले हैं पिछली सरकार के रक्षा मंत्री ने कहा था –
अफ्सा पर फैसला जल्दबाजी में नहीं : एंटनी
रक्षा मंत्री ए के एंटनी ने गुरुवार को कहा कि नियंत्रण रेखा पर सीमा पार से घुसपैठ में वृद्धि हुई है और जम्मू कश्मीर में विवादास्पद सशस्त्र बल विशेष शक्तियां अधिनियम (अफ्सा) मुद्दे पर जल्दबाजी में कोई फैसला नहीं किया जाएगा। एंटनी ने कहा कि राज्य में हिंसा के स्तर में कमी आयी है लेकिन सतर्क रहने की जरूरत है ।

अबकी सरकार के रक्षा मंत्री भी जल्द ही कोई बहाना सामने रख ही देंगे आखिर सरकार में उनकी पार्टी को शामिल जो होना है फिर भले ही देश डूबे या पार उतरे उन्हें क्या ?
शालिनी कौशिक
[कौशल ]

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