Menu
blogid : 12172 postid : 1374213

आखिर सुषमा क्यों पीछे हटी ?

! मेरी अभिव्यक्ति !
! मेरी अभिव्यक्ति !
  • 791 Posts
  • 2130 Comments

आतंकवाद के खिलाफ नई दिल्ली में भारत ,रूस और चीन के विदेश मंत्रियों के १५वें सम्मलेन में तीनों देशों ने इसके खात्मे का ऐलान किया है .साथ ही टेरर फंडिंग रोकने और आतंकी ढांचे को ख़त्म करने पर भी जोर दिया है .यह कदम स्वागत योग्य है और ऐसे वक्त पर और भी ज्यादा जब देश की संसद पर आतंकी हमले के 16  साल पूरे होने जा रहे हों

संसद पर आतंकी हमले के 16 साल पूरे हो गए हैं. 13 दिसंबर 2001 को आतंकियों ने भारतीय संसद पर हमला किया था. उस आतंकी हमले में दिल्‍ली पुलिस के छह सदस्‍य, दो पार्लियामेंट सेक्‍योरिटी सर्विस के सदस्‍य शहीद हुए थे. संसद परिसर का एक कर्मचारी भी मारा गया. जवाबी कार्रवाई में पांचों आतंकी ढेर कर दिए गए. उस हमले के बाद भारत-पाकिस्‍तान तनाव चरम पर पहुंच गया था और भारत ने पश्चिमी मोर्चे पर सैन्‍य गतिविधियों को बढ़ा दिया था.

पर सबसे ज्यादा आश्चर्य इस बात का है कि तीनो देशो की ओर से इस सम्मलेन के बाद जारी संयुक्त बयान में पाकिस्तान आधारित आतंकी संगठनों का जिक्र नहीं है जबकि सितम्बर में चीन के शियामेन में हुई ब्रिक्स [ब्राज़ील,रूस ,भारत,चीन और दक्षिण अफ्रीका ]देशों की बैठक के बाद जारी घोषणापत्र में विशेष रूप से लश्कर-ए-ताइबा,जैश-ए-मोहम्मद और दूसरे आतंकी संगठनों का जिक्र किया गया था .

और इस सम्मलेन में प्राप्त समाचारों के मुताबिक भारत ने पाकिस्तान स्थित लश्कर-ए-ताइबा जैसे आतंकी संगठनों की ओर से बढ़ते आतंकवाद पर चिंता जताई ,बढ़ती आतंकी घटनाओं का मुद्दा उठाया और संयुक्त बयान में कहा कि आतंकवाद पर यह गठबंधन किसी खास देश के खिलाफ नहीं है क्यों नहीं कहा कि आतंकवाद पर यह गठबंधन हर उस देश के खिलाफ है जो आतंकवाद को प्रोत्साहित करता है ?क्यों नहीं कहा कि जब सारा विश्व आतंक के दुष्प्रभाव झेल रहा है तो इन आतंकी संगठनों को सहायता देने वाले देश हमारे रडार पर हैं ? क्यों भूल गयी सुषमा जी कि इधर वे आतंकवाद के खिलाफ हाथ मिला रही हैं और उधर कश्मीर में सुरक्षा बल उनके इरादों को अमलीजामा पहना रहे हैं ? क्यों नहीं पता चला उन्हें कि हंदवाड़ा में सुरक्षा बलों द्वारा ढेर किये गए तीन पाक आतंकी लश्कर-ए-ताइबा के ही थे ?जब एक देश आतंकियों की मदद करते नहीं डरता तो हम उसका नाम लेते हुए क्यों डरते हैं ?

सब जानते हैं कि लश्कर-ए-ताइबा पाक की मदद से फलता-फूलता आतंकी संगठन है और जैश-ए-मोहम्मद के गाज़ी बाबा के कहने पर अफ़ज़ल गुरु ने संसद पर आतंकी हमले की योजना बनायीं और इन सबका गॉड-फादर पाकिस्तान है जो हर आतंकी को पनाह देकर उसके निर्दोष होने के लिए हक़ बयानी भी करता है और आतंकी कार्यवाही भी .संसद पर 13  दिसंबर 2001  को हुए हमले में आतंकी संगठनों लश्‍कर-ए-तैयबा और जैश-ए-मुहम्‍मद के पांच आतंकी दोपहर 11.40 बजे डीएल-3सीजे-1527 नंबर वाली अंबेसडर कार से संसद भवन के परिसर में गेट नंबर 12 की तरफ बढ़े. गृह मंत्रालय और संसद के लेबल वाले स्‍टीकर गाड़ी पर लगे होने के कारण प्रवेश मिल गया. उससे ठीक पहले लोकसभा और राज्‍यसभा 40 मिनट के लिए स्‍थगित हुई थी और माना जाता है कि तत्‍कालीन गृह मंत्री लालकृष्‍ण आडवाणी समेत करीब 100 संसद सदस्‍य उस वक्‍त सदन में मौजूद थे.

सबसे पहले सीआरपीएफ की कांस्‍टेबल कमलेश कुमारी ने आतंकियों को देखा और तत्‍काल अलार्म बजाया. आतंकियों की गोली में मौके पर उनकी मौत हो गई. एक आतंकी को जब गोली मारी गई तब उसकी सुसाइड वेस्‍ट से विस्‍फोट हो गया और बाकी चार आतंकियों को भी सुरक्षाबलों ने मौत के घाट उतार दिया.

अफजल गुरु : मुख्‍य साजिशकर्ता माना जाता है. जैश-ए-मुहम्‍मद के गाजी बाबा के कहने पर संसद पर हमले की योजना बनाई. अदालत ने फांसी की सजा सुनाई. सुप्रीम कोर्ट में भी फांसी बरकरार. दया याचिकाएं खारिज. नौ फरवरी, 2013 को फांसी दे दी गई.

पुलिस के अनुसार जैश-ए-मोहम्मद का आतंकवादी अफज़ल गुरु इस मामले का मास्टर माइंड था जिसे पहले दिल्ली हाइकोर्ट द्वारा साल 2002 में और फिर उच्चतम न्यायालय द्वारा 2006 में फांसी की सज़ा सुनाई गई थी। उच्चतम न्यायालय द्वारा भी फांसी सुनाए जाने के बाद गुरु ने राष्ट्रपति के समक्ष दया याचिका रखी थी, जिसे हाल ही में राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने खारिज कर दिया था और फिर ये मामला गृह मंत्रालय के हाथ में ही था। इस पर गृहमंत्रालय ने फैसला लिया और उसे फांसी पर लटका दिया गया।

एसएआर गिलानी : दिल्‍ली यूनिवर्सिटी में प्रोसेफर. निचली अदालत ने फांसी की सजा सुनाई. लेकि उच्‍च अदालत में सबूतों के अभाव में बरी कर दिए गए.

शौकत हुसैन : दिल्‍ली के मुखर्जी नजर में पांचों आतंकियों के लिए रहने के इंतजाम करने का आरोप. निचली अदालत ने फांसी की सजा सुनाई. बाद में उस सजा को दस साल की कैद में बदला गया. अच्‍छे आचरण के चलते जेल में सजा पूरी होने से नौ महीने पहले ही रिहा कर दिया गया.

अफ्शां (नवजोत संधू) : शौकत की पत्‍नी. पांच साल की सजा मिली.

इतने सारे आतंकियों ने मिलकर देश की संसद पर हमला किया और ये जिस संगठनों की मदद से किया उनकी मदद पाकिस्तान करता है

लश्कर-ए-तैयबा  दक्षिण एशिया के सबसे बडे़ इस्लामी आतंकवादी संगठनों में से एक है। हाफिज़ मुहम्मद सईद ने इसकी स्थापना अफगानिस्तान के कुनार प्रांत में की थी। वर्तमान में यह पाकिस्तान के लाहौर से अपनी गतिविधियाँ चलाता है, एवं पाक अधिकृत कश्मीर में अनेकों आतंकवादी प्रशिक्षण शिविर चलाता है। इस संगठन ने भारत के विरुद्ध कई बड़े हमले किये हैं और अपने आरंभिक दिनों में इसका उद्येश्य अफ़ग़ानिस्तान से सोवियत शासन हटाना था। अब इसका प्रधान ध्येय कश्मीर से भारत का शासन हटाना है और इसके ही हाफिज मुहम्मद सईद पर से ही अभी पाकिस्तान ने नज़रबंदी हटाई है जिसकी आलोचना सम्पूर्ण विश्व ने की है लेकिन पाकिस्तान के कानों पर जूं तक नहीं रेंगी है .

जैश-ए-मुहम्मद  एक पाकिस्तानी जिहादी संगठन है जिसका एक ध्येय भारत से कश्मीर को अलग करना है हालांकि यह अमेरिका और अन्य पश्चिमी देशों के विरुद्ध आतंकवादी गतिविधियों में भी शामिल समझे जाती हैं। इसकी स्थापना मसूद अज़हर नामक पाकिस्तानी पंजाबी नेता ने मार्च २००० में की थी। इसे भारत में हुए कई आतंकवादी हमलो के लिए ज़िम्मेदार ठहराया गया है और जनवरी २००२ में इसे पाकिस्तान की सरकार ने भी प्रतिबंधित कर दिया। इसके बाद जैश-ए-मुहम्मद ने अपना नाम बदलकर ‘ख़ुद्दाम उल-इस्लाम​’ कर दिया। सुरक्षा विषयों के समीक्षक बी रामन ने इसे एक ‘मुख्य आतंकवादी संगठन’ बताया है और यह भारत, संयुक्त राज्य अमेरिका और ब्रिटेन द्वारा जारी आतंकवादी संगठनों की सूची में शामिल है।

ये सब सूचनाएँ हमारे पास हैं और हम आतंकवाद का दंश झेलकर भी भलमनसाहत का परिचय देते हैं लेकिन ये भलमनसाहत देशवासियों में आतंकवाद के प्रति देश के रहनुमाओं के मन में बैठे डर का अहसास कराती है न कि ये सन्देश कि देश आतंक के प्रायोजकों को सुधरने का मौका दिया जा रहा है .अतः ऐसे में जब देश विरोधी व् विश्व विरोधी शक्तियां सबके सामने हैं उन विरोधी शक्तियों का नाम लेना चाहिए क्योंकि ऐसा न कर हम अपने शहीदों की सहादत का अपमान करते हैं जो इस देश को बचाये रखने के लिए अपनी जान तक की परवाह नहीं करते जबकि हमें उन्हें श्रद्धांजलि देते समय अपने हाथ ऐसे आतंकी संगठनों व् इनके सहयोगियों को शरण देने से बचाने चाहिए .

आज तक हमारे देश ने इन आतंकवादी घटनाओं में अपने बहुत से वीर शहीद किये हैं जिनमे से संसद हमले में शहीद हुए वीर निम्न हैं –

नानक चंद और रामपाल (असिस्‍टेंट सब इंस्‍पेक्‍टर, दिल्‍ली पुलिस)

ओमप्रकाश और घनश्‍याम (हेड कांस्‍टेबल, दिल्‍ली पुलिस)

कमलेश कुमारी (सीआरपीएफ में महिला कांस्‍टेबल)

जगदीश प्रसाद यादव (सिक्‍योरिटी असिस्‍टेंट ऑफ वाच एंड वार्ड स्‍टाफ)

देश राज (सीपीडब्‍ल्‍यूडी के कर्मचारी)

मातंबर सिंह (सिक्‍योरिटी असिस्‍टेंट)

देश संसद हमले की 16 वीं बरसी पर अपने इन शहीदों को नमन करता है किन्तु ये नमन तभी सच्चे अर्थों में होगा जब जनता के द्वारा अपने रहनुमाओं के रूप में चुने गए नेतागण सत्ता में बैठे हमारे भाग्य निर्माता हमारे इन शहीदों की शहादत की कदर करें और खुलकर आतंकी संगठनों व् इनके मददगारों के खिलाफ सामने आएं और जिससे भी हाथ मिलाएं ऐसे पथभ्रष्टों के खिलाफ खुलकर नाम लेकर मिलाएं .

शालिनी कौशिक

[कौशल ]

Read Comments

    Post a comment

    Leave a Reply