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और प्रसन्नता जिसको कहते हैं सभी-contest

! मेरी अभिव्यक्ति !
! मेरी अभिव्यक्ति !
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वो एक हंसी पल जब तुम्हे नज़दीक पाया था,

उमड़ आयी थी चेहरे पर हंसी,

सिमट आयी थी करीब जिंदगी मेरी;

मेरे अधरों पर हलकी सी हुई थी कम्पन;

मेरी आँखों में तेज़ी से हुई थी हलचल;

मेरा रोम-रोम घबराने लगा था;

लगा था;

तभी किसी ने धीरे से ये कहा था ;

पहचाना मैं हूँ वह कली   ,

जो है तेरी बगिया में खिली;

और प्रसन्नता जिसको कहते  हैं  सभी

शालिनी कौशिक

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