! मेरी अभिव्यक्ति !
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वो एक हंसी पल जब तुम्हे नज़दीक पाया था,
उमड़ आयी थी चेहरे पर हंसी,
सिमट आयी थी करीब जिंदगी मेरी;
मेरे अधरों पर हलकी सी हुई थी कम्पन;
मेरी आँखों में तेज़ी से हुई थी हलचल;
मेरा रोम-रोम घबराने लगा था;
लगा था;
तभी किसी ने धीरे से ये कहा था ;
पहचाना मैं हूँ वह कली ,
जो है तेरी बगिया में खिली;
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