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डबल ग्रुप से ऐसी बिजली

! मेरी अभिव्यक्ति !
! मेरी अभिव्यक्ति !
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Birds On The Wire Stock Photography - 1293152

लगे हुए थे एक माह से ,हिन्दू मुस्लिम भाई ,

थम गया था जीवन सारा ,चौपट हुई कमाई .

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मना रहे थे अफसरों को ,देकर दूध मलाई ,

नेताओं ने भी आकर ,पीठ थी थपथपाई .

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बिलबिलाते गर्मी से ,छत पर खाट जमाई,

पंखा झलते-झलते रहते ,नींद न फिर भी आई .

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धरने करते नारे गाते ,बिछा के जब चटाई,

सीधी बातों से न माने ,तब की खूब पिटाई .

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लातों के इन भूतों के ,तब बात समझ में आई ,

बिजली आने की परमिशन ,ऊपर से दिलवाई .

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बजे नगाड़े ढोल तमाशे ,सबने खाई मिठाई ,

गले मिले और हाथ मिलकर ,दी गयी खूब बधाई .

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डबल ग्रुप से ऐसी बिजली,देख के शामत आई ,

न चमकी दिन में आकर,न रात को पड़ी दिखाई .

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शालिनी कौशिक

[कौशल]

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