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यह संविदा असम्यक असर से उत्प्रेरित

! मेरी अभिव्यक्ति !
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कोई भी संविदा तभी विधिमान्य है जब उसके लिए सम्मति स्वतंत्र रूप से दी गयी हो परन्तु सम्मति स्वतंत्र कब होती है इस सम्बन्ध में प्रावधान भारतीय संविदा अधिनियम की धारा १४ में दिए गए हैं धारा के अनुसार सम्मति स्वतंत्र तब कही जाती है जब वह निम्लिखित ढंग से न प्राप्त की गयी हो –
[१] प्रपीड़न [coercion ] [धारा १५ ]
[२[ असम्यक असर [undue influence ][धारा १६ ]
[३] कपट [fraud ][धारा १७]
[४] दुर्व्यपदेशन [misrepresentation ][धारा १८]
[५] भूल [mistake ][धारा १९ ]
मुझसे एक ब्लॉगर महोदय ने ये सवाल पूछा है –

मेरी नानी जो एक 65 साल की महिला है उसके तीन भाइयो ने ये कहके की कोर्ट का काम है आना जाना पड़ेगा हम तुमको तुम्हारे हिस्से का देते रहेंगे करके साइन ले लिए और फिर पैसा देने से मुकर गए बहुत परेशानी में है ये लोग …… 2 साल से ज्यादा हो गए जिला कोर्ट का चक्कर लगते तहसीलदार घुमाते रहता है …शायद पैसे खिलाइये है इनको .. कोई तरीका बताइये मैम जिससे इनको इनका हक़ मिले  संपत्ति का अधिकार -५ पर

इस शिकायत के अनुसार मामला असम्यक असर का प्रतीत होता है .असम्यक असर के सम्बन्ध में भारतीय संविदा अधिनियम कहता है कि-
यदि संविदा के किसी पक्षकार की सम्मति असम्यक असर के प्रभाव से युक्त है तो उक्त संविदा उस पक्षकार के विकल्प पर शून्यकरणीय होगी ,जिसकी सम्मति इस प्रकार से प्राप्त की गयी है –
[१] असम्यक असर को भारतीय संविदा अधिनियम की धारा १६ में परिभाषित किया गया है .धारा -१६ के अनुसार ,”संविदा असम्यक असर द्वारा उत्प्रेरित कही जाती है ,जहाँ के पक्षकारों के बीच विद्यमान सम्बन्ध ऐसे हैं कि उनमे से एक पक्षकार की इच्छा को अधिशसित करने की स्थिति में है और उस स्थिति का उपयोग उस दूसरें पक्षकार से अऋजु फायदा अभिप्रापट करने के लिए करता है .
[२] विशिष्टतया और पूर्ववर्ती सिद्धांत की व्यापकता पर प्रतिकूल प्रभाव डाले बिना यह है कि कोई व्यक्ति किसी अन्य की इच्छा को अधिशासित करने की स्थिति में समझा जाता है ,जबकि वह –
[क] उस अन्य पर वास्तविक या दृश्यमान प्राधिकार रखता है या उस अन्य के साथ वैश्वासिक सम्बन्ध की स्थिति में है ,अथवा
[ख] ऐसे व्यक्ति के साथ संविदा करता है जिसकी मानसिक सामर्थ्य पर आयु रुग्णता या मानसिक या शारीरिक कष्ट के कारण अस्थायी या स्थायी रूप से प्रभाव पड़ा है .
[३] जहाँ की कोई व्यक्ति ,जो किसी अन्य की इच्छा को अधिशासित करने की स्थिति में हो उसके साथ संविदा करता है और वह संव्यवहार देखने से ही या दिए गए साक्षय के आधार पर लोकात्मा विरुद्ध प्रतीत होता है वहां पर यह साबित करने का भार कि ऐसी संविदा असम्यक असर से उत्प्रेरित नहीं की गयी थी उस व्यक्ति पर होगा जो उस अन्य की इच्छा को अधिशासित करने की स्थिति में था .
और अतुल जी के अनुसार उनकी नानी के भाइयों ने उनसे साइन लिए हैं वे निश्चित रूप में उनकी इच्छा को अधिशासित करने की स्थिति में हैं और यह संविदा असम्यक असर से उत्प्रेरित कही जाएगी और इस प्रकार यह संविदा इनकी नानी के विकल्प पर शून्यकरणीय है और यह साबित करने का भार क़ि यह संविदा असम्यक असर से उत्प्रेरित नहीं है इनकी नानी के भाइयों पर है .

शालिनी कौशिक
[कानूनी ज्ञान ]

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