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व्यंग्य: भेंस के बदले भेंस

बात पते की....
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व्यंग्य: भेंस के बदले भेंस
यूपी के एक मंत्रीजी की कुछ भैंसें चोरी हो गई। इस बात पर मुझे एक ओर मंत्री जी की बात याद आ गई। लिजिये आप भी पढ़ लिजिये और आन्नद उठाईये।
कोलकाता शहर में सुबह-सुबह एक मंत्रीजी की मैडम के गले का चेन किसी  उच्चके ने छिन लिया। तमाम महकमे में शाम होते-होते हड़कम सा मच गया। मंत्रियों के घरों से लेकर जिला अधिकारी के कार्यलय तक बैठकों का दौर शुरू हो गया।
ऐसा नहीं था कि इस तरह की घटना इस इलाके में नयी हुई हो। अक्सरा इस तरह की बातें हम सुना करते थे । महिलाओं को सावधान होकर चलने की सलाह भी दिया करते थे। थाने में डायरी करवाने जाओ तो थानेवाले उस महिला से ऐसे-ऐसे सवाल करते कि मानो उस महिला ने ही कोई अपराध कर दिया हो। कितने का था वह हार? कब खरीदा था आपने? अच्छा तो बनवाया था? आह… ससुराल से मिला था? आदि-आदि.. कई महिला तो बिना डायरी लिखाये ही वापस आ जाती थी। कुछ दिन रो-धो लेती फिर सब कुछ भूल जाती।
पर आज तो मामला उल्टा था। मंत्री जी की रात की चैन गायब हो गई थी। पूरा का पूरा पुलिस महकमा चोर को पकड़ने में लगा हुआ था। कई चोरों को पकड़ा भी गया। चारों ओर नाकेबंदी कर दी गई थी। दिन ढलते-ढलते थाने से समाचार मिला कि एक चोर से दो चेन मिली है। मंत्रीजी को खबर मिलते ही तत्काल थानेदार को आदेश भेजा गया कि वे दोनों चेन लेकर स्वयं मैडम के सामने हाजीर हो। सम्मन मिलते ही थानेदार अपनी पलटन लेकर मंत्री जी के घर पंहुच गये। मैडम जी छत पर धूप सैंक रही थी। समाचार मिलते ही वह नीचे आईं  पूछी – ‘‘हार मिल गया क्या?’’
थानेदार ने जबाब में दोनों हार मैडम के सामने हाजिर कर दिये।
वो बोली- ‘‘इसमें भारीवाला कौन सा है।’’
थानेदार…. हड़बडाता हुआ हार को नापने लगा। मैडम.. ‘‘ये वाली भारी है।’’
ठीक है यही मेरी है।
थानेदार वह हार मैडम को थमाते हुए कहा- ‘सर!’ ‘सरजी’ को कह दिजियेगा कि आपकी हार मिल गई है।
मैडम मुस्कराते हुए  हाँ! हाँ! आप चिन्ता नहीं करें ।
लो भाई! आजमखान जी की भेंस मिल गई होगी आपको।
– शम्भु चौधरी 03.02.2014
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यूपी के एक मंत्रीजी की कुछ भैंसें चोरी हो गई। इस बात पर मुझे एक ओर मंत्री जी की बात याद आ गई। लिजिये आप भी पढ़ लिजिये और आन्नद उठाईये।

कोलकाता शहर में सुबह-सुबह एक मंत्रीजी की मैडम के गले का चेन किसी  उच्चके ने छिन लिया। तमाम महकमे में शाम होते-होते हड़कम सा मच गया। मंत्रियों के घरों से लेकर जिला अधिकारी के कार्यलय तक बैठकों का दौर शुरू हो गया।

ऐसा नहीं था कि इस तरह की घटना इस इलाके में नयी हुई हो। अक्सरा इस तरह की बातें हम सुना करते थे । महिलाओं को सावधान होकर चलने की सलाह भी दिया करते थे। थाने में डायरी करवाने जाओ तो थानेवाले उस महिला से ऐसे-ऐसे सवाल करते कि मानो उस महिला ने ही कोई अपराध कर दिया हो। कितने का था वह हार? कब खरीदा था आपने? अच्छा तो बनवाया था? आह… ससुराल से मिला था? आदि-आदि.. कई महिला तो बिना डायरी लिखाये ही वापस आ जाती थी। कुछ दिन रो-धो लेती फिर सब कुछ भूल जाती।

पर आज तो मामला उल्टा था। मंत्री जी की रात की चैन गायब हो गई थी। पूरा का पूरा पुलिस महकमा चोर को पकड़ने में लगा हुआ था। कई चोरों को पकड़ा भी गया। चारों ओर नाकेबंदी कर दी गई थी। दिन ढलते-ढलते थाने से समाचार मिला कि एक चोर से दो चेन मिली है। मंत्रीजी को खबर मिलते ही तत्काल थानेदार को आदेश भेजा गया कि वे दोनों चेन लेकर स्वयं मैडम के सामने हाजीर हो। सम्मन मिलते ही थानेदार अपनी पलटन लेकर मंत्री जी के घर पंहुच गये। मैडम जी छत पर धूप सैंक रही थी। समाचार मिलते ही वह नीचे आईं  पूछी – ‘‘हार मिल गया क्या?’’

थानेदार ने जबाब में दोनों हार मैडम के सामने हाजिर कर दिये।

वो बोली- ‘‘इसमें भारीवाला कौन सा है।’’

थानेदार…. हड़बडाता हुआ हार को नापने लगा। मैडम.. ‘‘ये वाली भारी है।’’

ठीक है यही मेरी है।

थानेदार वह हार मैडम को थमाते हुए कहा- ‘सर!’ ‘सरजी’ को कह दिजियेगा कि आपकी हार मिल गई है।

मैडम मुस्कराते हुए  हाँ! हाँ! आप चिन्ता नहीं करें ।

लो भाई! आजमखान जी की भेंस मिल गई होगी आपको।

– शम्भु चौधरी 03.02.2014

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