दिल्ली में भारतीय जनता पार्टी के दिग्गज नेताओं को अपनी भूल का अंदाजा तब लगा जब आम आदमी की सरकार बन गई। इनको यह कदापि अंदाजा नहीं था कि जिस पार्टी को भाजपा घेरने की राजनीति में लगे थे वे उस जाल में खुद ही जायेंगे। अब इनको इस जाल में मोदीजी की दिल्ली दूर होती दिखने लगी। दिल्ली के रामलीला मैदान में ‘आप’ की सरकार के शपथ ग्रहण समारोह को देख पूरा देश आश्चर्यचकित और स्तभ सा रह गया था। देश की जनता ने जिस धेर्य के साथ अरविंद केजरीवाल के भाषण को सुना वह अपने आप में ऐतिहासिक क्षण था। पहली बार कोई गैर राजनैतिक व्यक्ति सत्ता के दलालों को खुलकर चुनौती दे रहा था। 28 दिसंबर 2013 के भाषण के कुछ अंश
‘‘दोस्तों ! हमें यह बिल्कुल गुमान नहीं है, हमें यह बिल्कुल घमंड नहीं है कि सारी समस्याओं का समाधान हमारे पास है। हमारे पास सारी समस्याओं का समाधान नहीं है। भगवान ने सारी बुद्धी हमें नहीं दी है। हमारे पास कोई जादू की छड़ी नहीं है कि आज सरकार बनेगी, कल सारी समस्याओं का समाधान हो जायेगा। लेकिन हमें यह पूरा यकिन है कि यदि दिल्ली के डेढ़ करोड़ लोग एकट्डा हो गए तो ऐसी कोई समस्या नहीं कि जिसका समाधान हम नहीं निकाल सकते। हमें अब दिल्ली मिलकर चलानी होगी। अब यह सरकार सिर्फ 7 मंत्री नहीं चलायेगें, सरकार कुछ अफिसर नहीं चलायेगें, सरकार कुछ पुलिसवाले नहीं चलायेंगें। हमें ऐसी व्यवस्था कायम करगें दिल्ली के अंदर हम डेढ़ करोड़ लोग मिलकर सरकार बनायेगें। डेढ़ करोड़ मिलकर सरकार चलायेगें। ’’
दिल्ली में शपथग्रहण समारोह के तत्काल बाद देशभर में ‘आप’ पार्टी के सदस्य बनने की होड़ सी मच गई। नमो का जमा-जमाया खेल रातों-रात बालू के टीले की तरह ढहने लगा। पिछले दो महिनों में पहलीबार देशभर में मोदीजी की लहर को ‘आप’ से कड़ी टक्कर मिलने लगी। राजस्थान, गुजरत, उत्तरप्रदेश, हरियाणा में भाजपा का गणीत बिगड़ने लगा। इसको लेकर अबतक भाजपा के खेमे में चिन्ता साफ झलक लगी। भाजपा की राष्ट्रीय कार्यकारिणी सभा में प्रायः हर बड़े नेता ने इस बात पर चिन्ता व्यक्त की। सुषमा स्वराज ने तो मंच से ही कह दिया कि ‘‘ मैं पहले से ही जानती थी कि ‘आप’ भीतर ही भीतर सुरंग बना रहा है।’’ वहीं कालीटोपी (आरएसएस) वालों को भी चिन्ता सताने लगी। बोले – ‘आप’ को हल्के में ना लें भाजपा’’ इस चेतावनी को देख मोदीजी खुद इस मामले की देखरेख में जूट गये। जिसकी भनक चंद ही दिनों में मोदीजी के कुछ भाषणों से साफ होने लगी थी ।
– शम्भु चौधरी 05.02.2014
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जल जायेगी धरती जब, संसद के गलियारों में,
भड़क उठेगी ज्वाला तब, नन्हे से पहरेदारों में।
दिल्ली में भारतीय जनता पार्टी के दिग्गज नेताओं को अपनी भूल का अंदाजा तब लगा जब आम आदमी की सरकार बन गई। इनको यह कदापि अंदाजा नहीं था कि जिस पार्टी को भाजपा घेरने की राजनीति में लगे थे वे उस जाल में खुद ही फंस जायेंगे। अब इनको इस जाल में मोदीजी की दिल्ली दूर होती दिखने लगी। दिल्ली के रामलीला मैदान में ‘आप’ की सरकार के शपथ ग्रहण समारोह को देख पूरा देश आश्चर्यचकित और स्तभ सा रह गया था। देश की जनता ने जिस धेर्य के साथ अरविंद केजरीवाल के भाषण को सुना वह अपने आप में ऐतिहासिक क्षण था। पहली बार कोई गैर राजनैतिक व्यक्ति सत्ता के दलालों को खुलकर चुनौती दे रहा था। 28 दिसंबर 2013 के भाषण के कुछ अंश
‘‘दोस्तों ! हमें यह बिल्कुल गुमान नहीं है, हमें यह बिल्कुल घमंड नहीं है कि सारी समस्याओं का समाधान हमारे पास है। हमारे पास सारी समस्याओं का समाधान नहीं है। भगवान ने सारी बुद्धी हमें नहीं दी है। हमारे पास कोई जादू की छड़ी नहीं है कि आज सरकार बनेगी, कल सारी समस्याओं का समाधान हो जायेगा। लेकिन हमें यह पूरा यकिन है कि यदि दिल्ली के डेढ़ करोड़ लोग एकट्डा हो गए तो ऐसी कोई समस्या नहीं कि जिसका समाधान हम नहीं निकाल सकते। हमें अब दिल्ली मिलकर चलानी होगी। अब यह सरकार सिर्फ 7 मंत्री नहीं चलायेगें, सरकार कुछ अफिसर नहीं चलायेगें, सरकार कुछ पुलिसवाले नहीं चलायेंगें। हमें ऐसी व्यवस्था कायम करगें दिल्ली के अंदर हम डेढ़ करोड़ लोग मिलकर सरकार बनायेगें। डेढ़ करोड़ मिलकर सरकार चलायेगें। ’’
दिल्ली में शपथग्रहण समारोह के तत्काल बाद देशभर में ‘आप’ पार्टी के सदस्य बनने की होड़ सी मच गई। नमो का जमा-जमाया खेल रातों-रात बालू के टीले की तरह ढहने लगा। पिछले दो महिनों में पहलीबार देशभर में मोदीजी की लहर को ‘आप’ से कड़ी टक्कर मिलने लगी। राजस्थान, गुजरत, उत्तरप्रदेश, हरियाणा में भाजपा का गणीत बिगड़ने लगा। इसको लेकर अबतक भाजपा के खेमे में चिन्ता साफ झलक लगी। भाजपा की राष्ट्रीय कार्यकारिणी सभा में प्रायः हर बड़े नेता ने इस बात पर चिन्ता व्यक्त की। सुषमा स्वराज ने तो मंच से ही कह दिया कि ‘‘ मैं पहले से ही जानती थी कि ‘आप’ भीतर ही भीतर सुरंग बना रहा है।’’ वहीं कालीटोपी (आरएसएस) वालों को भी चिन्ता सताने लगी। बोले – ‘आप’ को हल्के में ना लें भाजपा’’ इस चेतावनी को देख मोदीजी खुद इस मामले की देखरेख में जूट गये। जिसकी भनक चंद ही दिनों में मोदीजी के कुछ भाषणों से साफ होने लगी थी ।
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