Menu
blogid : 5807 postid : 48

लोकपाल बिलः भ्रमाक प्रचार का सहारा

बात पते की....
बात पते की....
  • 63 Posts
  • 72 Comments

सरकार की नियत देश को गुमराह करने की है न कि मजबूत लोकपाल बिल लाने की अतः इस सरकार के रहते हम एक मजबूत लोकपाल बिल की कल्पना किसी भी कीमत पर नहीं कर सकते। चुंकि सरकार भ्रष्टचारियों के सहयोग से चल रही है अतः यह भी कल्पना करना कि सरकार को निकट भविष्य में कोई क्षति होगी वह भी संभव नहीं।

पिछले 65 सालों के इतिहास में देश की सबसे बड़ी भ्रष्ट सरकार के केबिनेट स्तर की बैठक में आज एक प्रकार से भ्रमित प्रचार का सहारा लेते हुए प्रस्तावित सरकारी लोकपाल बिल को केबिनेट की मंजूरी प्रदान कर दी। जिसे संसद के अगले सत्र में बहस के लिए प्रस्तुत किया जाना है और यह भी तय है कि सरकार का यह सरकारी ड्रामा संसद के गलियारे में या तो दम तोड़ देगा या ऐसा बिल पारित हो जायेगा जो न सिर्फ देश के लोकतंत्र को अंगूठा दिखा अपनी तामाम काली करतूतों पर परदा डाल देगा कि किसी भ्रष्टाचारी सजा मिलने की जगह उसे क्लिन चिट दे दिया जायेगा। मसलन 2जी घोटाला, कामनवेल्थ घोटाला, जैसे मामालों को तथाकथित लोकपाल बिल के दायरे में लाकर उसे न सिर्फ पाक–साफ कर दिया जायेगा। घोटालेबाजों पर अंगूली दिखाने वाले को जेल की हवा भी खानी पड़ेगी। आपने अभी देखा ही है कि भ्रष्ट सरकार किस प्रकार रामदेव बाबा व उनके सहयोगियों को न सिर्फ झूठे और मनगढ़ंत मामाले में उलझाकर देश को गुमराह करने में अपनी पूरी ताकत झोंक रही है।

1. सरकार द्वारा भ्रमाक प्रचार:

सरकारी पक्ष देश में यह भ्रम फैला रही है कि अन्ना हजारे संसद के ऊपर होकर लोकपाल बिल को खुद ही पास करना चाहतें हैं जबकि बिल को संसद के अन्दर संसद सदस्य पारित करेगें अन्ना उनके अधिकार क्षेत्र में दखलअंदाजी कर रहे हैं। उनका यह भ्रम आज कुछ मंत्रियों के बयानों से साफ झलकने लगा कि सरकार अपने केबिनेट को यह समझाने में सफल हो गई कि संसद के चुने हुए सांसदों के ऊपर कोई नहीं। ये भी जनता के प्रतिनिधि ही हैं। सिविल सोसायटी के चन्द लोग मिलकर सरकार को डराने का काम कर संसदीय प्रणाली की मर्यादा को भंग कर उन पर हावी होने का प्रयास कर रही है जिसे किसी भी सूरत में स्वीकार नहीं किया जायेगा। यह मिथ्या प्रचार न सिफ्र भ्रमक है देश कि जनता के साथ–साथ अपने साथियों को लामबंद करने का एक प्रयास भी है। अन्ना हजारे व सिविल सोसायटी के सदस्य मजबूत लोकपाल बिल लाने के पक्ष में अपनी राय जनता से शेयर कर रहें है। जबकि सरकार ने जनता के द्वारा किये आन्दोलन को दबाने का नाटक रच जनता की आंखों में धूल झोंक कर सिविल सोसायटी के सदस्यों के साथ बैठकें की। अब उसे ही कठघरे में खड़ा करने का प्रयास कर एक प्रकार से अभी से ही जनता के आन्दोलन का कूचलने की रणनीति बना रही है। जिसके तहत वह संसद की मर्यादा को भी ताक में रखने को तैयार दिखती है।

2. सरकार द्वारा भ्रमाक प्रचार:

सरकार जिस तरह से अन्ना हाजारे व बाबा रामदेव को अपने जाल में फंसाने का प्रयास कर न सिर्फ अनैतिक दबाब बनाये रखने के लिये इन लोगों के द्वारा संचालित ट्रस्टों की जाँच व अन्य धोखाबाजी वाली चालें चल रही है इससे इस सरकार की मंशा पर प्रश्न चिन्ह लगाया जा सकता है कि सरकार की नियत देश को गुमराह करने की है न कि मजबूत लोकपाल बिल लाने की अतः इस सरकार के रहते हम एक मजबूत लोकपाल बिल की कल्पना किसी भी कीमत पर नहीं कर सकते। चुंकि सरकार भ्रष्टचारियों के सहयोग से चल रही है अतः यह भी कल्पना करना कि सरकार को निकट भविष्य में कोई क्षति होगी वह भी संभव नहीं।

 

3. सरकार द्वारा भ्रमाक प्रचार:

सरकारी पक्ष का मानना है कि वे देश की जनता के चुने हुए प्रतिनिधि हैं फिर भी वे बेगेर चुने हुए लोगों के साथ लोकपाल बिल पर चर्चा कर उनके द्वारा सूझाये गये सूझावों को लोकपाल बिल में शामिल कर लिए जाने के बाबजूद अन्ना हजारे व उनकी टीम संसद को चुनोती देने का कार्य कर रही है। जबकि सरकार ने धोखेबाजी के साथ यह सब नाटक रच देश की जनता के साथ न सिर्फ धोखा किया है। संसद में कमजोर लोकपाल बिल लाकर वह लोकपाल बिल को एक तमाशा बना देने पर तुली है। इसके साथ ही अब यह तय हो गया कि टीम अन्ना द्वारा सूझाये गये सभी प्रस्तावों को कचरे के डब्बें में फेंक दिया गया है। यह एक खोखला प्रचार किया जा रहा है कि सरकार ने अन्ना के सूझावों को ध्यान में रखते हुए बिल में काफी परिवर्तन किये हैं। हाँ! परिवर्तन इस बात का किया गया है कि किसी भी प्रकार से मनमोहन की पिछली और वर्तमान सरकार के पापों की जाँच लोकपाल न कर सके इस बात को ध्यान में रखते हुए बिल के सभी प्रावधानों को सावधानी पूर्वक प्रस्तावित बिल में संजोया गया है ताकी निकट भविष्य में इन बेइमानों को कोई जेल में न भेज सके।

Read Comments

    Post a comment

    Leave a Reply