Menu
blogid : 5807 postid : 705145

भाजपा का पोल-खोल?

बात पते की....
बात पते की....
  • 63 Posts
  • 72 Comments
भाजपा का पोल-खोल?
दिल्ली विधानसभा के अंदर भाजपा,  कांग्रेस पार्टी के साथ खड़ी होकर जिस प्रकार भ्रष्टाचार के पक्ष में मतदान की इससे यह बात तो स्पष्ट हो चुकी है कि भाजपा का चुनावी मुद्दा अब भ्रष्टाचार से लड़ाई करना नहीं बल्की भ्रष्टाचारियों को बचाना बन गया है।
भाजपा के गिरते चरित्र और नैतिक पतन को हमने संसद के भीतर और बहार दोनों जगह देखा है। भाजपा ने इसबार दिल्ली विधानसभा में हदों की सारी सीमायें ही लांध दी। जब केजरीवाल के एक के बाद एक कई कड़े निर्णयों के खिलाफ भाजपाई नेता कांग्रेस के साथ मिलकर राजनीति रोटी सैंकने और भ्रष्टाचारियों को बचाने के लिए सिस्टम और संविधान की दुहाई देते दिखे।
भाजपा दिल्ली में ‘आप’ के खिलाफ पोल-खोल आंदोलन शुरू करने जा रही है। अच्छी बात है। क्या इसका यह अर्थ लगाया जाए कि मात्र 49 दिनों की सरकार के कार्यकलाप जिसमें करीब-करीब सारे निर्णय जनता के हित में थे, देश में स्वच्छ राजनीति के पक्ष में थे। उसकी पोल खोलने के लिये इनके पास वक्त निकल आया जबकि दिल्ली में भ्रष्ट शीलाजी की 15 साल की सरकार और केंद्र में मनमोहन जी की 10 साल की सरकार के लिये भाजपा कोई वक्त क्यों नहीं निकाल पाई? भाजपा को इसका भी जबाब देना चाहिए कि भाजपा ने कब-कब कांग्रेस के खिलाफ और किस-किस राज्यों में पोल-खोल आंदोलन किये हैं? दिल्ली में भ्रष्ट व्यवस्था को 15 सालों तक आंखें मुंदे समर्थन देती रही भाजपा। क्यों नहीं पिछले पांच सालों में मनमोहनजी की सरकार के खिलाफ पोल-खोल अंदोलन की? इन सब प्रश्नों को जबाब देना होगा भाजपा को।
दरअसल भाजपा देश को भ्रष्टमुक्त शासन देने की पक्षधर नहीं है। संसद में अपंग लोकपाल कानून हो या ‘‘दागी सांसद/विधायक बचाओ बिल’’, आरटीआई में संशोधन ऐसे तमाम भ्रष्टाचारियों की सुरक्षा कानून को पहले ही संसद में अपनी मोहर लगा चुकी है भाजपा।  भाजपा का नैतिक पतन इस कदर गिर चुका है कि चंद सीटों के लालच में प्रमाणित भ्रष्टाचारियों से समझौता कर रही है। भाजपा आज राममंदिर को भूला दी, जो भाजपा कांगेस के भ्रष्टाचार को मुद्दा नहीं बनाकर कांग्रेस से आपसी समझौता कर चुकी हो कि इसबार के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस, भाजपा के रास्ते में रोड़ ना अटकाये। इसके लिये दो बातों पर इनकी अपसी सहमती हुई है – 1. ‘‘कांग्रेस मोदी को सांप्रदायिकता के नाम पर और महिला की जासूसी कांड पर कुछ नहीं बोलेगी’’ वहीं 2. ‘‘भाजपा मनमोहन सरकार के भ्रष्टाचार के खिलाफ और राममंदिर के मुद्दे पर कुछ नहीं बोलेगी।’’  आप मोदीजी के पूरे भाषण और इन दिनों कांग्रेस नेताओं के पूरे भाषण का अध्यन कर लें। आपको यह बात स्वतः स्पष्ट हो जायेगी।
भाजपा का पोल-खोल?
जो राजनीति दल कल की जन्मी ‘आप’ की पोल खोलने में लगी है। इससे साफ हो जाता है कि महज 49 दिन के शासन से ये दोनों (कांग्रेस और भाजपा) राजनैतिक दल ‘आप’ के बढ़ते प्रभाव से कितनी घबड़ाई हुई है। जिसके चलते इन दोनों ने 27 विधायकों की सरकार को गिराने के लिये 42 विधायकों की ताकत दिल्ली विधानसभा में झौंक दी अचानक से इन दोनों राजनीति दलों के एक होने का कारण मुझे अभीतक समझ में नहीं आया।
जिसने महज 49 दिन की सरकार ही देखी है। जिसके दूध के दांत भी नहीं उगे थे। उसकी पोल खोलने के लिये इनके पास मुद्दा बन गया, परन्तु कांग्रेस के भ्रष्ट 15 साल ‘शीला सरकार’  शासन के खिलाफ ना तो इसके पास पहले कभी कोई मुद्दा था ना अब है। भाजपा ना शीलाजी के खिलाफ कभी भी कोई आंदोलन नहीं किया जो पिछले 50 दिनों में अब तक 10 बार कर चुकी है या अब करने जा रही है।
भाजपा का यह पोल-खोल जनता को मजबूत जनलोकपाल देने की बात से भटकाने के लिये है। दिल्ली विधानसभा में जनता के विश्वास के साथ भाजपा ने जो धोखाघड़ी की इस पाप से खुद को बचाने के लिये है। यह पोल-खोल भाजपा के गिरते चरित्र और नैतिक पतन का प्रमाणपत्र है।
सत्ता की लोभी भाजपा को सिर्फ चुनाव की राजनीति आती है। राष्ट्रहित की बात इस पार्टी के मुंह से सुनने में आश्चर्य सा होने लगा है। जबकि ‘केजरीवाल’ सत्ता की नहीं व्यवस्था को सुधारने की राजनीति कर रहें हैं ‘केजरीवाल’ की नीति तमाम राजनीति दलों से ‘केजरीवाल’ को अलग करती है। आने वाले समय में ‘केजरीवाल’ शब्द स्वस्थ व्यवस्था का पर्यावाची बन जायेगा।
जयहिन्द!!
– शम्भु चौधरी (कोलकाता- 17.02.2014)
Please Read More on my link
#BaatPateKi #AAP #BJP

दिल्ली विधानसभा के अंदर भाजपा,  कांग्रेस पार्टी के साथ खड़ी होकर जिस प्रकार भ्रष्टाचार के पक्ष में मतदान की इससे यह बात तो स्पष्ट हो चुकी है कि भाजपा का चुनावी मुद्दा अब भ्रष्टाचार से लड़ाई करना नहीं बल्की भ्रष्टाचारियों को बचाना बन गया है।

भाजपा के गिरते चरित्र और नैतिक पतन को हमने संसद के भीतर और बहार दोनों जगह देखा है। भाजपा ने इसबार दिल्ली विधानसभा में हदों की सारी सीमायें ही लांध दी। जब केजरीवाल के एक के बाद एक कई कड़े निर्णयों के खिलाफ भाजपाई नेता कांग्रेस के साथ मिलकर राजनीति रोटी सैंकने और भ्रष्टाचारियों को बचाने के लिए सिस्टम और संविधान की दुहाई देते दिखे।

भाजपा दिल्ली में ‘आप’ के खिलाफ पोल-खोल आंदोलन शुरू करने जा रही है। अच्छी बात है। क्या इसका यह अर्थ लगाया जाए कि मात्र 49 दिनों की सरकार के कार्यकलाप जिसमें करीब-करीब सारे निर्णय जनता के हित में थे, देश में स्वच्छ राजनीति के पक्ष में थे। उसकी पोल खोलने के लिये इनके पास वक्त निकल आया जबकि दिल्ली में भ्रष्ट शीलाजी की 15 साल की सरकार और केंद्र में मनमोहन जी की 10 साल की सरकार के लिये भाजपा कोई वक्त क्यों नहीं निकाल पाई? भाजपा को इसका भी जबाब देना चाहिए कि भाजपा ने कब-कब कांग्रेस के खिलाफ और किस-किस राज्यों में पोल-खोल आंदोलन किये हैं? दिल्ली में भ्रष्ट व्यवस्था को 15 सालों तक आंखें मुंदे समर्थन देती रही भाजपा। क्यों नहीं पिछले पांच सालों में मनमोहनजी की सरकार के खिलाफ पोल-खोल अंदोलन की? इन सब प्रश्नों को जबाब देना होगा भाजपा को।

दरअसल भाजपा देश को भ्रष्टमुक्त शासन देने की पक्षधर नहीं है। संसद में अपंग लोकपाल कानून हो या ‘‘दागी सांसद/विधायक बचाओ बिल’’, आरटीआई में संशोधन ऐसे तमाम भ्रष्टाचारियों की सुरक्षा कानून को पहले ही संसद में अपनी मोहर लगा चुकी है भाजपा।  भाजपा का नैतिक पतन इस कदर गिर चुका है कि चंद सीटों के लालच में प्रमाणित भ्रष्टाचारियों से समझौता कर रही है। भाजपा आज राममंदिर को भूला दी, जो भाजपा कांगेस के भ्रष्टाचार को मुद्दा नहीं बनाकर कांग्रेस से आपसी समझौता कर चुकी हो कि इसबार के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस, भाजपा के रास्ते में रोड़ ना अटकाये। इसके लिये दो बातों पर इनकी अपसी सहमती हुई है – 1. ‘‘कांग्रेस मोदी को सांप्रदायिकता के नाम पर और महिला की जासूसी कांड पर कुछ नहीं बोलेगी’’ वहीं 2. ‘‘भाजपा मनमोहन सरकार के भ्रष्टाचार के खिलाफ और राममंदिर के मुद्दे पर कुछ नहीं बोलेगी।’’  आप मोदीजी के पूरे भाषण और इन दिनों कांग्रेस नेताओं के पूरे भाषण का अध्यन कर लें। आपको यह बात स्वतः स्पष्ट हो जायेगी।

जो राजनीति दल कल की जन्मी ‘आप’ की पोल खोलने में लगी है। इससे साफ हो जाता है कि महज 49 दिन के शासन से ये दोनों (कांग्रेस और भाजपा) राजनैतिक दल ‘आप’ के बढ़ते प्रभाव से कितनी घबड़ाई हुई है। जिसके चलते इन दोनों ने 27 विधायकों की सरकार को गिराने के लिये 42 विधायकों की ताकत दिल्ली विधानसभा में झौंक दी अचानक से इन दोनों राजनीति दलों के एक होने का कारण मुझे अभीतक समझ में नहीं आया।

जिसने महज 49 दिन की सरकार ही देखी है। जिसके दूध के दांत भी नहीं उगे थे। उसकी पोल खोलने के लिये इनके पास मुद्दा बन गया, परन्तु कांग्रेस के भ्रष्ट 15 साल ‘शीला सरकार’  शासन के खिलाफ ना तो इसके पास पहले कभी कोई मुद्दा था ना अब है। भाजपा ना शीलाजी के खिलाफ कभी भी कोई आंदोलन नहीं किया जो पिछले 50 दिनों में अब तक 10 बार कर चुकी है या अब करने जा रही है।

भाजपा का यह पोल-खोल जनता को मजबूत जनलोकपाल देने की बात से भटकाने के लिये है। दिल्ली विधानसभा में जनता के विश्वास के साथ भाजपा ने जो धोखाघड़ी की इस पाप से खुद को बचाने के लिये है। यह पोल-खोल भाजपा के गिरते चरित्र और नैतिक पतन का प्रमाणपत्र है।

सत्ता की लोभी भाजपा को सिर्फ चुनाव की राजनीति आती है। राष्ट्रहित की बात इस पार्टी के मुंह से सुनने में आश्चर्य सा होने लगा है। जबकि ‘केजरीवाल’ सत्ता की नहीं व्यवस्था को सुधारने की राजनीति कर रहें हैं ‘केजरीवाल’ की नीति तमाम राजनीति दलों से ‘केजरीवाल’ को अलग करती है। आने वाले समय में ‘केजरीवाल’ शब्द स्वस्थ व्यवस्था का पर्यावाची बन जायेगा।

जयहिन्द!!

– शम्भु चौधरी (कोलकाता- 17.02.2014)

Please Read More on my link

#BaatPateKi #AAP #BJP

Tags:      

Read Comments

    Post a comment

    Leave a Reply