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भाजपा पागला गई क्या?

बात पते की....
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भाजपा पागला गई क्या?
कल का दिन लोकतंत्र के खतरे को संसद में सूचीबद्ध कर भारतीय राजनैतिक इतिहास को सदैव के लिये शर्मसार कर दिया है। सत्ता की भूखी/ महत्वाकांक्षी भाजपा इस काले इतिहास को लिखने में ठीक उसी प्रकार सहयोगी दिखी जैसे पहले थी। लोकपाल कानून हो या दागी सांसदों के बचाव कानून ये इसके कार्यकलापों से यह साफ हो गया कि भाजपा को देश की व्यवस्था सुधारने में कोई दिलचस्पी नहीं है। इनके खुद के खज़ाने भरते रहनें और सत्ता की कुंजी की अदला-बदली ही भाजपा का लक्ष्य है। ये लोग देशभक्त नहीं देश के सबसे खतरनाक दोस्त हैं।
पिछले सप्ताह ही भाजपा ने कांग्रेस से मिलकर दिल्ली विधानसभा में भी ठीक कुछ इसी प्रकार का नंगा नाच किया था जब केजरीवाल की सरकार को सत्ता से बेदखल कर दिया गया। ईमानदार व्यवस्था, ईमानदार कोशिश को भाजपा का कभी कोई समर्थन ना कभी था, ना रहेगा।
तेलंगाना राज्य के गठन पर देश में कोई मतभेद नहीं था। परन्तु जिस प्रकार राजनैतिक फायदे और अपने स्वार्थ को सामने रखकर इन लोगों संसद के भीतर देश के साथ दौगलापंथी की है। इससे इनके चरित्र को संदिग्ध बना दिया है।
कल संसद के भीतर जो कुछ भी घटा यह घटना असाधारण है। मोदी सहित भाजपा के प्रायः सभी नेता (कुछ को छोड़कर ) सब के सब सत्ता के लिये पागल हुए जा रहें हैं। इनका पागलपन देश को समर्पित नहीं, सिर्फ सत्ता के लिये समर्पित है। ऐन-केन-प्रकारेण देश की सत्ता हथियाना बस इनका एक ही उद्देश्य है। खुदा ना खास्ता इनको 272 का आंकड़ा ना मिला तो जैसा कि दिल्ली विधानसभा में हुआ ये लोग जिस प्रकार दिल्ली की जनता के साथ विश्वासघात किये, ठीक वैसे ही देश की जनता के साथ विश्वासघात करने से भी बाज नहीं आयेंगें।
कुछ स्वार्थी तत्व यह सोचतें हैं कि देश के लोकतंत्र को पैसे से खरीदा जा सकता है हमें उनके इस भ्रम को विराम लगाने की जरूरत है। देश के लोकतंत्र पर कब्जा करने का इस प्रयास का हमें जमकर विरोध करना होगा। इनके रोटी के टूकरों पर पलनेवालों को भी देश के लिये सोचना चाहिये।
संसद या विधानसभा के भीतर बहुमत की बात सुनी जाती है पर ऐसे बहुमत जो देश हित या जनहित के खिलाफ हो, उसे बहुमत नहीं कहा जा सकता। वह देश के साथ विश्वासघात है। जरा सोचिये कल ना कोई इसी प्रकार संसद को ब्लैकआउट कर सभी सांसदों को बंधक बनाकर कोई ऐसा कानून बना लें जिससे हमारी देश की सुरक्षा के लिये खतरा बन जाए तो क्या हमें स्वीकार कर लेना चाहिये?
संविधान और सिस्टम की आड़ में देश को तमाशा बना देनेवाली राजनैतिक दलों को सोचना होगा कि वे जिसे अराजकता के लिये जिम्मेदार मानते हैं वे खुद कितने अराजकता के पक्षधर हैं। संसद के अंदर कल की अलोकतांत्रिक घटना में कांग्रेस की मजबूरी तो समझ में आती है परन्तु भाजपा की बात गले नहीं उतरती कि इसको क्या हड़बड़ी थी। जिसके लिये इन लोगों मिलकर संसद को बंधक बना लिया था।
हमें हर बात में व्यवस्था की दुहाई देते नहीं थकते ये लोग, संविधान की रक्षा के लिये दिल्ली विधानसभा में तलवार लेकर खड़े हो गए थे। दूसरी तरफ कल जो लोकसभा में इनलोगों ने किया वह क्या था?  विश्व भर के तमाम समाचार पत्र भारतीय लोकतंत्र की निंदा करते नहीं थक रहे।  देश की कई राजनैतिक पार्टियाँ ने भी इस बहुमत पर सवाल उठाया है। किसी ने लिखा ‘‘लोकतंत्र की हत्या’’ किसी ने कहा लोकतंत्र पर बुल्डोज़र चला दिया। इसी को बहुमत कहते हैं क्या?
जयहिन्द!!
– शम्भु चौधरी (कोलकाता- 19.02.2014)
Please Read More “BAAT PATE KI”

कल का दिन लोकतंत्र के खतरे को संसद में सूचीबद्ध कर भारतीय राजनैतिक इतिहास को सदैव के लिये शर्मसार कर दिया है। सत्ता की भूखी/ महत्वाकांक्षी भाजपा इस काले इतिहास को लिखने में ठीक उसी प्रकार सहयोगी दिखी जैसे पहले थी। लोकपाल कानून हो या दागी सांसदों के बचाव कानून ये इसके कार्यकलापों से यह साफ हो गया कि भाजपा को देश की व्यवस्था सुधारने में कोई दिलचस्पी नहीं है। इनके खुद के खज़ाने भरते रहनें और सत्ता की कुंजी की अदला-बदली ही भाजपा का लक्ष्य है। ये लोग देशभक्त नहीं देश के सबसे खतरनाक दोस्त हैं।

पिछले सप्ताह ही भाजपा ने कांग्रेस से मिलकर दिल्ली विधानसभा में भी ठीक कुछ इसी प्रकार का नंगा नाच किया था जब केजरीवाल की सरकार को सत्ता से बेदखल कर दिया गया। ईमानदार व्यवस्था, ईमानदार कोशिश को भाजपा का कभी कोई समर्थन ना कभी था, ना रहेगा।

तेलंगाना राज्य के गठन पर देश में कोई मतभेद नहीं था। परन्तु जिस प्रकार राजनैतिक फायदे और अपने स्वार्थ को सामने रखकर इन लोगों संसद के भीतर देश के साथ दौगलापंथी की है। इससे इनके चरित्र को संदिग्ध बना दिया है।

कल संसद के भीतर जो कुछ भी घटा यह घटना असाधारण है। मोदी सहित भाजपा के प्रायः सभी नेता (कुछ को छोड़कर ) सब के सब सत्ता के लिये पागल हुए जा रहें हैं। इनका पागलपन देश को समर्पित नहीं, सिर्फ सत्ता के लिये समर्पित है। ऐन-केन-प्रकारेण देश की सत्ता हथियाना बस इनका एक ही उद्देश्य है। खुदा ना खास्ता इनको 272 का आंकड़ा ना मिला तो जैसा कि दिल्ली विधानसभा में हुआ ये लोग जिस प्रकार दिल्ली की जनता के साथ विश्वासघात किये, ठीक वैसे ही देश की जनता के साथ विश्वासघात करने से भी बाज नहीं आयेंगें।

कुछ स्वार्थी तत्व यह सोचतें हैं कि देश के लोकतंत्र को पैसे से खरीदा जा सकता है हमें उनके इस भ्रम को विराम लगाने की जरूरत है। देश के लोकतंत्र पर कब्जा करने का इस प्रयास का हमें जमकर विरोध करना होगा। इनके रोटी के टूकरों पर पलनेवालों को भी देश के लिये सोचना चाहिये।

संसद या विधानसभा के भीतर बहुमत की बात सुनी जाती है पर ऐसे बहुमत जो देश हित या जनहित के खिलाफ हो, उसे बहुमत नहीं कहा जा सकता। वह देश के साथ विश्वासघात है। जरा सोचिये कल ना कोई इसी प्रकार संसद को ब्लैकआउट कर सभी सांसदों को बंधक बनाकर कोई ऐसा कानून बना लें जिससे हमारी देश की सुरक्षा के लिये खतरा बन जाए तो क्या हमें स्वीकार कर लेना चाहिये?

संविधान और सिस्टम की आड़ में देश को तमाशा बना देनेवाली राजनैतिक दलों को सोचना होगा कि वे जिसे अराजकता के लिये जिम्मेदार मानते हैं वे खुद कितने अराजकता के पक्षधर हैं। संसद के अंदर कल की अलोकतांत्रिक घटना में कांग्रेस की मजबूरी तो समझ में आती है परन्तु भाजपा की बात गले नहीं उतरती कि इसको क्या हड़बड़ी थी। जिसके लिये इन लोगों मिलकर संसद को बंधक बना लिया था।

हमें हर बात में व्यवस्था की दुहाई देते नहीं थकते ये लोग, संविधान की रक्षा के लिये दिल्ली विधानसभा में तलवार लेकर खड़े हो गए थे। दूसरी तरफ कल जो लोकसभा में इनलोगों ने किया वह क्या था?  विश्व भर के तमाम समाचार पत्र भारतीय लोकतंत्र की निंदा करते नहीं थक रहे।  देश की कई राजनैतिक पार्टियाँ ने भी इस बहुमत पर सवाल उठाया है। किसी ने लिखा ‘‘लोकतंत्र की हत्या’’ किसी ने कहा लोकतंत्र पर बुल्डोज़र चला दिया। इसी को बहुमत कहते हैं क्या?

जयहिन्द!!

– शम्भु चौधरी (कोलकाता- 19.02.2014)

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