Menu
blogid : 5807 postid : 709085

भाजपा अध्यक्ष श्री राजनाथ जी,

बात पते की....
बात पते की....
  • 63 Posts
  • 72 Comments

तानाशाही का नमूना देखिये चुनाव से पहले।
भाजपा अध्यक्ष श्री राजनाथ जी,
लेखकों के लेख पढ़कर इतने विचलित हो गये कि एक लेखक को अपने पेज से ही ब्लैकलिस्ट कर दिये। क्या चुनाव से पहले ही इनका यह हाल है तो बाद में क्या होगा। सच को नहीं जानेगें तो दिल्ली सपनो की रानी बन कर रह जायेगी। राजनाथ जी। वैसे ब्लैकलिस्अ करने से एक फायदा तो मुझे भी हुआ मुझे पता चल गया कि आप कितने तानाशाही हो।

तानाशाही का नमूना देखिये ……….

भाजपा अध्यक्ष श्री राजनाथ जी,

लेखकों के लेख पढ़कर इतने विचलित हो गये कि एक लेखक को अपने पेज से ही ब्लैकलिस्ट कर दिये। क्या चुनाव से पहले ही इनका यह हाल है तो बाद में क्या होगा। सच को नहीं जानेगें तो दिल्ली सपनो की रानी बन कर रह जायेगी। राजनाथ जी। वैसे ब्लैकलिस्ट करने से एक फायदा तो मुझे भी हुआ मुझे पता चल गया कि आप कितने तानाशाही हो।

लिजिये वह लेख आप भी पढ़ लिजिये।

मोदी का ‘मैं, मैं और मैं’

मोदीजी का अहंकार सर चढ़ कर बोलने लगा है। मोदी के सामने भाजपा गौन होती नजर आने लगी। मोदीजी अपने प्रत्येक भाषणों में ‘‘मैं, मैं और मैं का राग अलापते नजर आते हैं। पहले शुरू में तो मोदीजी अटलजी, अडवाणीजी की बात करते थे, अब इनके भाषणों से सिर्फ ‘मैं, मैं और मैं’ सुनाई देने लगा है।

मोदीजी ने धीरे-धीरे भाजपा के सभी सिद्धान्तों को भी बलि चढ़ा दी। जहाँ इन्होंने कर्नाटका में भ्रष्टाचार में लिप्त भाजपा से निष्कासित यदुरप्पाजी को साथ ले लिया वहीं बिहार में नाम मात्र के संगठन ‘‘लोक जनशक्ति’’ से भी हाथ मिलाने से नहीं चुक रही। निश्चित इससे यह साफ हो जाता है कि मोदीजी पर भाजपा की पकड़ कमजोर पड़ती जा रही है।

सीटों के आंकड़े को पक्ष में करने के लिये अभी से बौखलाहट मोदी में साफ झलकने लगी है। मोदीजी के विज्ञापनों में और इनकी जनसभाओं में भाजपा और भाजपा के बड़े कद के नेताओं का अब कोई स्थान नहीं रहा है। ऐसे में भाजपा सिर्फ मोदी के बल पर चुनाव भले ही लड़ लें, संगठन के रूप में भाजपा को बहुत बड़ी क्षति निकट भविष्य में उठाने के लिये तैयार रहना होगा।

संभवतः अडवानी जी के नेतृत्व में भाजपा का एक घड़ा भले ही वह संगठन से अलग ना हो पर चुनाव के बाद की स्थिति पर कड़ी नजर बनाये रखेगा। जिस बात की संभावना ऊभर कर सामने आने लगी है कि अब मोदी जी की लहर उतार पर है । पिछले दो माह में मोदी के चाहनेवालों की संख्या में तेजी से गिरावट दर्ज हुई है। वहीं दूसरी तरफ इसका सीधा फायदा ‘आम आदमी पार्टी’ को मिल रहा है।

पहले मोदीजी को सिर्फ ताबूत मे दफाना चुकी कांग्रेस से लड़ना था। अब यह लड़ाई चौतरफा होती जा रही है। वहीं संघ के कई प्रचारक मोदी व इनके समर्थकों की अहंकार भरी भाषा से बड़े नराज हैं।

जैसे-जैस कांग्रेस का प्रचार तेज होगा, मोदी की शक्ति क्षिण होती जायेगी। भले ही कांग्रेस कमजोर हो पर मरा हुआ हाथी भी सौ मन का होता है। इस बात से इंकार नहीं किया जा सकता। जिस-जिस जगह पर कांग्रेस खुद को कमजोर पायेगी वहाँ वह चाहेगी कि वहाँ भाजपा को छोड़कर कोई भी दूसरी पार्टी जीत जाय। यदि भाजपा का संगठन सिर्फ मोदीजी के ईर्द-गिर्द सिमटकर रह गया तो भाजपा को आगामी लोकसभा चुनाव में 200 सीट के आंकड़ा को भी जूटा पाना संभव नहीं है। तीसरी ताकत के रूप में ममता बनर्जी को अण्णाजी का खुला समर्थन से आगामी लोकसभा चुनाव में सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभर सकती है। वहीं मुलायम सिंह, मायावती, जयललिता, नीतीश कुमार, नवीन पटनायक, झारखंड मुक्ति मोर्चा को मिलाकर 110 सीट कहीं जाने की नहीं। ‘आप’ पार्टी को भी इस बार लोकसभा में 10 से 20 सीटें आने की संभावना से इंकार नहीं किया जा सकता।

कांग्रेस का कितना भी सुपड़ा साफ हो जाय पर उसे 125 से 150 सीट के बीच आने की संभावना है। इसके अलावा कई माकपा, भाकपा, आंघ्रा, तेलंगाना, महाराष्ट्र एमएनएस, एनसीपी, जम्मू कश्मीर में महुबुबा मुफ्ती, बिहार में आरजेडी, तामिल में करूणानिधि को भी 70 से 80 सीटें आनी ही है।

इन हालत में भाजपा के खाते में 190 से 200 सीटों का ताल मेल बनता है। जिसे मोदी की लहर नहीं कही जा सकती। वहीं भाजपा अडवाणी जी को सामने लाती है तो यही आंकड़ा जादूई आंकडे को तुरन्त छू सकता है।

– शम्भु चौधरी (कोलकाता- 24.02.2014)

Tags:   

Read Comments

    Post a comment

    Leave a Reply