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क्या अब यहाँ भी राजनीति ?
वर्तमान समय में राजनीति का मतलब बस राज करने की नीति मात्र हो गया है| सत्ता पाने के लिए राजनीति में कोई भी कुछ भी कर सकता है| अभी हाल ही में हुए भट्टा परसौली में भूमि अधिग्रहण का मामले पर ही नज़र डाल लीजिये किसानो के नेता और भारतीय किसान यूनियन के अध्यक्ष माननीय महेंद्र सिंह टिकैत के पुत्र राकेश कुमार टिकैत को उन बिलखते और असहाय किसानो के बीच नहीं जाने दिया गया, इसके अलावा भाजपा के वरिष्ट नेता राजनाथ सिंह समेत कई लोगो को रस्ते में ही रोक लिया गया| वही दूसरी तरफ कांग्रेस महासचिव राहुल गाँधी, दिग्विजय सिंह समेत कई नेताओं के साथ वह पहुचे| वहां पहुच कर उन्होंने किसानो के साथ मिलकर धरना दिया, पर ये बात और है की बाद में उन्होंने अपना अनशन तोड़ना पड़ा पर करीब १५ घंटे से ज्यादा समय तक वो उन किसानो के बीच रहे| ये बात दोबारा सोचने वाली है की अगर उ.प्र. सरकार ने जब टिकैत जी के पुत्र को वह जाने से रोक दिया, भाजपा के नेताओं को वह जाने से मना कर दिया तो कांग्रेस नेताओं को क्यों नहीं| अब तो यहाँ भी अप्रत्यक्ष रूप से सियासी रोटियां सिक रही है|
मज़े की बात ये है की की जब तक राहुल गाँधी जी जितने घंटों तक उन किसानों के बीच में रहे, वो मीडिया में छाए रहे| हर न्यूज़ चैनल हर घंटे ये गिना रही थी की राहुल जी कितने घंटे से गाँव में रहे| अब ये भी बात सोचने वाली है की कभी न्यूज़ ने उन्हें कवर क्यों नहीं किया जो गरीब-किसान उसी गरीबी और भुखमरी में जीकर मर गए| आखिर कब तक इस तरह की राजनीति होती रहेगी ये एक बड़ा प्रश्न है, और मुझे ये कहने में कोई अतिश्योक्ति नहीं होगी जब तक इस तरह राजनीति होती रहेगी भारत देश विकासशील ही बना रहेगा| जब तक सियासत की आड़ में इन गरीबो जीवन के साथ खिलवाड़ होता रहेगा, जब तक ये नेता इन गरीबों के सीने पर चक्की चलाकर मूंग डालते रहेंगे तब तक भारत विकसित नहीं हो सकता|अंत में मै दो पंक्तियाँ कहना चाहूँगा—–
नज़र बदल के देखो नज़ारे बदल जायेंगे,
सोच बदल के देखो सितारे बदल जायेंगे,
कश्तियाँ बदलने की क्या ज़रुरत ,
दिशायें बदल के देखो, किनारे बदल जायेंगे.
———- शरद शुक्ला, फैजाबाद
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