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मंहगी होती दाल रोटी
जी हाँ पिछले कुछ वर्षों से मंहगाई जिस रफ़्तार से बढ रही है वह सरकार के सभी सफलताओं पर पानी फेरने के लिए काफी है | जनता का पहला सरोकार अपनी दाल रोटी है, मामूली सी दाल जब दाल न रह कर पनीर का मुकाबला कर रही हो तो ऐसे में दाल रोटी खा कर प्रभु का गुण गाने वाली बात झूठी लगती है | दाल के दाने मोतिओं के भाव के बराबर आ गए हैं और रोटी पकाने के लिए जरुरी रसोई गैस भी मंहगी होती जा रही है ऐसे में सरकार का तर्क है की ऐसा करना लगातार कठिन होता जा रहा है क्यूंकि अंतर्राष्ट्रीय बाज़ार में तेल की कीमत लगातार बढती जा रही है और एक समय ऐसा आएगा जब इस सब्सिडी से विकास के अन्य कार्यक्रम प्रभावित होने लगेंगे | हमें ये बात भी ध्यान में रखनी चाहिए की जब बाज़ार में हर चीज़ का दाम बढ़ रहा है तो ऐसे में अन्नदाता अर्थात किसानों को इससे कैसे वंचित रखा जा सकता है ? उन्हें भी ऐसे में अनके आत्पाद का सही मूल्य मिलना चाहिए | जहाँ तक मिटटी के तेल की बात है तो ये उन्ही के लिए है जो बी.पि.एल. अर्थात गरीबी रेखा के नीचे हैं लेकिन इस प्रबंधन के बाद भी शहरों और गाँव में मिटटी के तेल के उपभोग में ज्यादा फर्क नहीं है | इससे साफ़ है की मिटटी के तेल की ब्लैक मार्केटिंग होती है परन्तु शाशन और प्रशाशन ये सब कुछ जानते हुए भी कुछ ठोस कदम नहीं उठाता है | इससे मिलती जुलती स्तिथि रसोई गैस की है | रसोई गैस का उपयोग व्यावसायिक स्तर पर होने के कारण ही रसोई गैस की कमी बनी रहती है अन्यथा इसकी स्तिथि इतनी ख़राब नहीं है | होटलों, कैंटीनों, ढाबों, यूनिवर्सिटी के होस्टलों आदि में कमर्शियल सिलिंडर का उपयोग न करके घरेलु गैस सिलिंडर का उपयोग हो रहा हैं क्यूंकि इनकी कीमत कमर्शियल सिलिंडर से काफी कम पड़ती है | पेट्रोल की बढती कीमतों का इलाज कार चालकों और कार मालिकों ने यह निकाला है की कार में गैस सिलिंडर का प्रयोग कर रहे हैं और ये कोई व्यावसायिक सिलिंडर नहीं है बल्कि घरेलु उपयोग वाले सिलिंडर ही है और ये सब जानते हुए भी सरकार कोई कठोर कदम नहीं उठा रही है | इन दोनों बातों से यह निष्कर्ष निकल रहा है की अगर रसोई गैस और मिटटी के तेल की कालाबाजारी को रोका गया होता तो शायद कीमत वृद्धि की नौबत ही नहीं आती | जरुरत नेक नियती है और यदि कोई सरकार जनता को दाल रोटी भी मयस्सर नहीं करा सकती तो उसे अपने भविष्य के बारे में सोचना होगा | और जनता को भी जागना होगा और ऐसे लोगों को जो की तथाकथित जनप्रतिनिधि हैं उनके भविष्य पर निर्णय सोच समझ कर लेना होगा | आशा और उम्मीद करता हूँ की आप सभी वोट देते समय इस बात का ध्यान रखेंगे क्यूंकि कहीं से तो शुरुआत करनी ही पड़ेगी | शायद आज, अभी और यहीं से एक शुरुआत हो रही है …..| खैर आशा करता हूँ की आप सभी अपना, देश का, और अपने देशवासिओं का ख्याल रखेंगे | जय हिन्द, जय भारत |
शशांक उपाध्याय
(अखिल भारतीय अधिकार संगठन)
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