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गरीब महंगाई को लेकर परेशान है और सरकारें गरीबों को लेकर… सरकार को पता ही नहीं चल पा रहा है कि कौन गरीब है और कौन अमीर… गरीबों की आमदनी बढ़ाने को लेकर तो किसी के पास कोई प्लान नहीं है लेकिन ये पता है कि कितने रुपए कोई कमाए तो वो अमीर कहलाएगा इस पर पहला आंकलन केंद्रीय योजना आयोग ने किया था जिसके आंकड़ों में कहा गया कि शहरी इलाकों में रहने वाले लोगों को बीपीएल कैटेगरी के लिए 32 रुपए प्रतिदिन की कमाई और गांव में रहने वालों के लिए 26 रुपए प्रतिदिन की कमाई करने वाला गरीब नहीं कहलाएगा जिस पर खूब विवाद उठा… कि क्या कोई एक दिन के अपने परिवार का खर्च 32 रुपए में चला सकता है जिस पर कांग्रेसी नेताओं के अनूठे बयानों ने भी आग लगाई थी लेकिन अब गुजरात में विकास का दावा करने वाली मोदी सरकार में तो कांग्रेस से भी ज्यादा चौंकाने वाले आंकड़े गुजरात सरकार ने पेश किए हैं जिन पर अब विवाद खड़ा हो गया है मोदी सरकार की तरफ से गरीबों के लिए जो आंकड़े आए हैं वो बेहद चौंकाने वाले हैं गुजरात सरकार की नज़र में गांव में 11 रुपये से कम कमाने वाला ही बीपीएल कैटेगरी में शामिल हो यानि की उसकी मासिक कमाई कम से कम 324 रुपए होनी चाहिए… वहीं शहरों में 17 रुपए प्रतिदिन से कम कमाने वाला बीपीएल की कैटेगरी में शामिल किया जाए… गुजरात सरकार के आंकड़ों पर अब सियासी बवाल भी मचना शुरू हो गया है क्योंकि जब कांग्रेस ने ऐसे ही कुछ आंकड़े दिए थे तो बहुत बवाल बीजेपी ने भी मचाया था लेकिन अब जब बीजेपी के पीएम पद के उम्मीदवार मोदी की गुजरात सरकार की तरफ से कांग्रेस से भी कम आंकड़े पेश किए गए हैं तो मोदी पर भी हमला जोरों पर है दिग्विजय सिंह ने तो पूछ लिया है कि अब राजनाथ सिंह और सुषमा स्वराज मोदी के विकास पर क्या कहेंगे… तो वहीं देश भी जानना चाहता है कि जिस शख्स को बीजेपी पीएम पद का उम्मीदवार बना रही है क्या उसकी सोच गरीबों के बारे में ऐसी है क्या कोई एक दिन 11 और 17 रुपए में गुज़ार सकता है ये बात देश मोदी से ज़रूर जानना चाहता है…
shashank.gaur88@gmail.com
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