- 38 Posts
- 7 Comments
कहते हैं जब दोस्त दुश्मनी में बदल जाता है तो वो दुश्मन तो होता ही है लेकिन कहीं न कहीं दबी दबी ज़ुबान में थोड़ा सा याराना भी दिखाई देता है कुछ ऐसा ही नज़ारा पटना में मोदी की “हुंकार” रैली में देखने को मिला… जहां पर मोदी ने अपने भाषण में हुंकार तो भरी लेकिन कहीं न कहीं नीतीश से याराना टूटने की टीस भी दिखाई दी और दुश्मनी का फर्ज निभाते हुए मोदी ने नीतीश सरकार पर खूब जमकर हमला भी बोला… मोदी ने दोस्ती तोड़ने का हिसाब चुकता करते हुए जेडीयू को कठघरे में खड़ा कर मौकापरस्त होने का आरोप भी लगा दिया… और रही कसर पूरी कर दी मोदी के आने से पहले हुए सात सीरीयल ब्लास्टों ने… जिसके चलते जेडीयू बीजेपी की ताजा दुश्मनी में एक और खाई खिंच गई.. इन बम धमाकों में पांच लोग मारे गए और 75 लोग घायल हो गए… बताया गया कि बमों में टाइमर लगे थे अब सवाल उठता है कि इस टाइमर को मोदी की रैली के टाइम पर ही क्यों लगाया गया… क्या ये बम राष्ट्रपति के बिहार दौरे पर भी फटते जो 27 अक्टूबर तक था लेकिन एक दिन पहले ही खत्म था… इन बम धमाकों में कहीं न कहीं राजनीतिक षड़यंत्र की बू आती है तो चुनावी शतरंज की बिसाद बिछने का भी शक होता है लेकिन मेरी एक बात समझ नहीं आती उन बेकसूर लोगों की क्या गलती थी जो इस बम ब्लास्ट में मारे गए और घायल हो गए क्या मोदी की हुंकार से बिहार की पार्टियां इतनी डरी हुई थी कि उन्हें इस घिनौनी तरकीब को अपनाना पड़ा लेकिन सच ये है कि इस घिनौनी तरकीब को भी अपनाया गया और तनाव फैलाने की कोशिश भी की गई… हुंकार रैली में बमों का फटना कहीं न कहीं मोदी का सत्ता में आने का खौफ दिखाता है या कुछ और… ये तो मैं कह नहीं सकता पर इतना ज़रुर कह सकता हूं की मोदी के आने से नेताओं में ज़रुर दहशत है जो साफ दिखाई देती है।
Shashank.gaur88@gmail.com
Read Comments