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हर बात में पीएम को गाली देना कितना सही ?

तीखी बात
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हर बात में पीएम को गाली देना कितना सही ?
देश में एक नया ढर्रा चल पड़ा है कि कहीं किसी की हत्या हो जाए तो सीधे पीएम ज़िम्मेदार है.. कहीं कोई चींटी मर जाए तो सीधे पीएम ज़िम्मेदार है.. सवाल ये है कि क्या वााकई देश में कहीं पर भी कुछ भी घटना हो तो पीएम ज़िम्मेदार है या उस इलाके का लोकल प्रशासन ज़िम्मेदार है.. खैर इस मुद्दे पर मैं अपनी बेबाक राय रखूंगा.. लेकिन उससे पहले.उस ख़बर को आपको बता दूं जिसने इन दिनों सबसे ज्यादा हलचल मचा रखी है.. और वो है वरिष्ठ पत्रकार गौरी लंकेश की हत्या… जिसने पत्रकार और राजनीति के बीच के घालमेल को बेपर्दा कर दिया है…. अपनी बेबाक राय रखने से पहले मैं आप सबको बता दूं कि मैं एक पत्रकार हूं और किसी पार्टी से मेरा कोई ताल्लुख नहीं है.. लेकिन क्या पीएम के पद की गरिमा हमें भूल जानी चाहिए.. एक आम आदमी भी जब प्रधानमंत्री का नाम लेता है तो देश की गरिमा याद आती है.. लेकिन हमारे देश के कुछ नेता.. जो हैं तो जनता के रिप्रजेंटेटिव. लेकिन वो देश की चुनी हुई जनता के पीएम को गुंडा कहते हैं गाली देते हैं… तो क्या प्रधानमंत्री के बारे में अपशब्द कहना क्या सही है.. राजनीति अपनी जगह हो सकती है.. और पत्रकार की हत्या पर सभी को दुख होना चाहिए.. लेकिन राजनीति का स्तर इतना गिर जाए क्या वो सही है..

एक पत्रकार जो कि पत्रकारों की सभा में नेताओं के बीच पीएम को गाली दे रहा है .. गुंडा कह रहा है क्या वो सही है.. जनता को आवाज़ देने वाली कलम अपने देश के पीएम को गाली दे क्या वो सही है तो फिर जिस देश में पीएम का सम्मान नहीं हो सकता वहां तो मैं समझता हूं कि कुछ ज्यादा ही स्वतंत्रता की आज़ादी दे रखी है.. इस पर भी लोगों के कई तर्क होंगे सबसे पहला ये कि जब पीएम मनमोहन सिंह थे तब ऐसी नैतिकता वाली बात नहीं होती थी जब उन्हें गाली दी जाती थी… तो मैं पहले ही बता दूं कि किसी भी पीएम के बारे में अभद्र टिप्पणी करना बिल्कुल गलत है.. पीएम की आलोचना हो सकती है लेकिन गाली नहीं दी जा सकती.. लेकिन नेताओं तो छोड़िेये पत्रकारों ने भी गालियों की बौछार की है तो वाकई मुझे दुख है क्योंकि पत्रकारिता का तो एक स्तर है.. राजनीति गंदी हो सकती है लेकिन पत्रकारिता अभद्र नहीं हो सकती.

. जो पत्रकारिता हर गाइडलाइंस फॉलो करती है वो पत्रकारिता जब अभद्र होती है तो फिर सवाल तो उठेंगे ही.. और नेताओं के बौद्धिक स्तर पर भी सवालिया निशान लगेंगे.. क्योंकि देश में संविधान है.. कानून है… अगर किसी की हत्या होती है.. तो उसकी जांच के बाद रिपोर्ट आने के बाद आरोपी को गिरफ्तार किया जाता है.. और आरोपी जो भी हो उसे फांसी दे दो क्योंकि उसने एक कलमकार की आवाज़ को खामोश किया है जो सीधे तौर पर एक समाज की आवाज़ की हत्या है.. लेकिन जो आवाज़ पूरे देश की है (पीएम की)… क्या उस आवाज़ को गाली देना ठीक है.. वाकई मुझे हैरानी होती है उन नेताओं और पत्रकारों पर जिनकी कलम और भाषण से देश का भविष्य बनना और संवरना चाहिए आज वही वरिष्ठ लोग इस तरह की अभद्र बातें करेंगे तो देश की मुख्य धारा कहां जाएगी ये हमें और उन्हें सोचना चाहिए उम्मीद है सद्बुद्धि आएगी
– शशांक गौड़, युवा पत्रकार
shashank.gaur88@gmail.com

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