agnipusp
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कलह – द्वेष में क्या रक्खा है, स्नेह – प्रेम से रहिये !
अहंकार घातक होता है, इससे बच कर चलिये !!
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जिह्वा लघु पर असर वृहद्, ये तो कह छिप जाती है !
लेकिन सिर पर पड़ती है, पनही – जूते खाती है !!
विरत रहें दुष्कर्मों से, यह भाव प्रसारित करिये !
अहंकार घातक होता है, इससे बच कर चलिये !!
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अहंकार होने पर मानव उत्पाती हो जाता !
धूमिल करके तेज, पाप की दुनिया में खो जाता !
तम – चादर को चीर उजाले में क़दमों को रखिये !
अहंकार घातक होता है, इससे बच कर चलिये !!
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दुःख के कांटे कदम – कदम पर, पैरों में गड़ते हैं !
जीवन-पथ असि-धार तीक्ष्ण है, जिसपर हम चलते हैं !
जीवन की दुर्गम राहों में फूल खिलाते चलिये !
अहंकार घातक होता है, इससे बच कर रहिये !!
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