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मैं तुम्हारे लिए गीत बुनता रहूँ

एहसासों की आवाज़
एहसासों की आवाज़
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मैं तुम्हारे लिए गीत बुनता रहूँ
मेरे स्वर से तुम्हारा ही श्रंगार हो

रजनीगंधा के फूलों सी खिलती रहो
तन बदन पे तुम्हारा ही अधिकार हो

दिल की दहलीज़ पर तुमने दस्तक जो दी
बावरा मन खुशी से मचलने लगा
लब पे मीठी हंसी तैरने लग गयी
कोना कोना बदन का महकने लगा

चाँदनी की तरह लिपटो बादल से तुम
गिरती बूँदें तुम्हारा ही उपहार हो

तेरे कंगन की खनखन से खुशियां मिलीं
तेरा सिंदूर जीवन का आधार है
मन ही मन में सनम मैं तुम्हारा हुआ
मेरी सांसों में बहता तेरा प्यार है

मै यही चाहता हूँ मेरी जां तुम्हें
गुल के गालों को रंगने का अधिकार हो

मैं तुम्हारे लिए गीत बुनता रहूँ
मेरे स्वर से तुम्हारा ही श्रंगार हो.21433232_691180017748708_340506341926435498_n

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