एहसासों की आवाज़
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चाँदनी घुल रही है तेरे गालों पर
सारा आकाश तारों से है भर गया
मखमली घास से ओस चुनते हुए
रात तू मुस्कुराई तो मैं मर गया
तेरे हाथों की मेंहदी की सौधी महक
शब्द बनकर मेरे गीतों में रच गयी .
मैंने छेड़ा तरन्नुम तेरे हुस्न का
मेरी सांसों में धुन बनके तू बस गयी
रात काटी है करवट बदलते हुए
तू मेरी आँखों में ऐसे रहकर गया
तेरे माथे की बिंदिया का सिंदूरी रंग
उगते सूरज की तरह चमकता रहे
तेरी खुशबू में भीगा हुआ मेरा मन
सुब्ह से शाम तक तुमको तकता रहे
कुछ न बाकी रहा इश्क़ के खेल में
दिल तुम्हारी तमन्ना में सब कर गया .
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