! अब लिखो बिना डरे !
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मम्मी ने सुबह जगाकर कहा
पापा ने गलेलगाकर कहा
दादा ने टॉफी देकर कहा
दादी ने गोद बिठाकर कहा
आया बाल दिवस ;मुबारक हो तुमको .
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तुम हो आशाओं के दिएँ
कुछ न मुश्किल तुम्हारे लिए
जो सपने ‘चाचा’ के अब तक अधूरे
तुमको ही तो अब करने हैं पूरे
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बगिया के फूलों ने हँसकर कहा
कोयल ने कूह-कूह करके कहा
कलियों ने चट-चट चटक कर कहा
तितली ने थोडा मटक कर कहा
आया बाल दिवस ;मुबारक हो तुमको .
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फूलों के जैसे महकते रहो
सूरज के जैसे चमकते रहो
मान बढ़ाना अपने वतन का
झंडा फहराना सदा ही अमन का
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मैडम ने पाठ पढ़ाकर कहा
मित्रों ने हाथ मिलाकर कहा
भैय्या ने हमको भगाकर कहा
दीदी ने गाना गाकर कहा
आया बाल दिवस मुबारक हो तुमको .
शिखा कौशिक
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