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इलेक्शन आने वाला है !
मेरे दरवाजे पर हुई थी खट खट
मैं चला खोलने उसको झट पट
वे खड़े हुए थे हाथ जोड़कर
मैं देख रहा था उन्हें चौककर
फिर समझ में आया ये सब क्या गड़बड़झाला है ?
इलेक्शन आने वाला है !
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वे बोले हम हैं सेवक और तुम हो स्वामी
हम दीन हीन से भक्त ;तुम अंतर्यामी
वे झुके चरण छूने को ज्यों ही नीचे
मैं हटा बड़ी तेजी से थोडा पीछे
वे बोले हाथ तुम्हारे अब लाज बचाना है .
इलेक्शन आने वाला है !
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जो काम कहोगे सब कर देंगें
बर्तन मान्जेंगें ;कपडे धो देंगें
हम एक जात के ये भूल न जाना
बस नाम हमारे पर बटन दबाना
वोट मांगने का उनका अंदाज निराला है .
इलेक्शन आने वाला है !
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मैं बोला दूंगा वोट सोच समझ कर
जात धर्म से ऊपर उठकर
तुम तो करते हो झूठे वादे
नहीं रखते हो तुम नेक इरादे
जनता जीजा होती है और नेता साला है .
इलेक्शन आने वाला है !
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वे बोले लगता तुझे समझ न आया
तू नहीं जानता नेता की माया
तू न सुधरा तो उठवा लेंगें
तेरी वोट खुद ही हम डलवा लेंगें
हम तन के उजले हैं पर मन तो काला है .
इलेक्शन आने वाला है !
शिखा कौशिक ‘नूतन’
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