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पिछले लोकसभा चुनाव [मई २०१४] में बीजेपी के हाथों भारी पराजय की चोट खाई कॉंग्रेस पार्टी १९ अप्रैल २०१५ को दिल्ली में हुई ”किसान -खेतिहर मजदूर रैली ” में पहली बार अपने पुराने रंग में दिखी . सर्वाधिक वर्षों तक भारतीय जनता की प्रिय पार्टी रही कॉंग्रेस और इसके जोशीले -गरिमामय नेतृत्व ने इस रैली के माध्यम से यह साबित कर दिया कि यदि कोई पार्टी जनता से ”अच्छे दिनों का ” झूठा वादा कर , उनसे बहुमत पाकर , सत्ता मद में इतना डूब जाये कि बेमौसम बरसात के कारण देश के अन्न-दाता की दुर्दशा को देखकर भी नज़रअंदाज़ करने लगे और किसानों की ज़मीनों को पूजीपतियों को सौपने की साज़िश रचने लगे तब किसानों की सच्ची हितैषी पार्टी कॉंग्रेस अपने दम पर ऐसी मदांध पार्टी को न केवल ललकारेगी बल्कि एक-एक जिम्मेदार शख्स को सत्ता के गलियारों से घसीट कर जनता के बीच लाकर खड़ा कर देगी .
एक भी किसान आज अगर अपनी फसले बर्बाद होने पर आत्म-हत्या कर रहा है तो इसकी पूरी जिम्मेदारी सरकार को लेनी होगी .ये आत्म-हत्या नहीं बल्कि सरकार की लापरवाही के कारण उसके द्वारा की जा रही हत्या है .ऐसे में सरकार को चेताने और भूमि-अधिग्रहण अध्यादेश की किसान विरोधी बातों को किसानों तक पहुँचाने के लिए आयोजित ”किसान रैली ” ने मोदी सरकार को हिला डाला , तभी तो श्री मोदी अपनी खिसियाहट छिपाने के लिए यह कहते नज़र आये ” कि हम किसानों की ज़मीने अम्बानी जैसों के लिए नहीं ले रहे ” तो क्या वे ”अडानी जैसों ” के लिए ले रहे हैं ?
कॉंग्रेस ने निराश-हताश किसानों के दिलों में फिर से न्याय -प्राप्ति की अलख जगाई है .अब यह कॉंग्रेस पार्टी व् इसके मजबूत नेतृत्व की जिम्मेदारी है कि वे किसानों की लड़ाई को मंज़िल तक पहुंचाए .सोनिया जी व् राहुल जी के नेतृत्व में ऐसा ही होगा -ऐसी हर भारतीय की शुभकामना है –
खुले हाकिम की मक्कारी ,
गिरे साज़िश की दीवारें !
हमारे मुल्क की किस्मत
हमारे ”हाथ ” में होगी !
जय हिन्द !जय भारत !
डॉ शिखा कौशिक ‘नूतन’
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