! अब लिखो बिना डरे !
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सबूत न मिल पायेगा कातिल है हुनरमंद !
वो हाथ नहीं आएगा कातिल है हुनरमंद !
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क़त्ल करके मेरा हमदर्द बना कातिल ,
आंसू भी बहायेगा कातिल है हुनरमंद !
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कातिल ने मिटा डाले सब खून के छींटे ,
बन पाक-साफ आएगा कातिल है हुनरमंद !
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कैसे हुआ है क़त्ल कातिल है भला कौन ?
ये पूछ कर दिखायेगा कातिल है हुनरमंद !
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”नूतन” ये जानता है शातिर बड़ा कातिल ,
मुर्दा न बोल पायेगा कातिल है हुनरमंद !
शिखा कौशिक ‘नूतन ‘
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