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साथ

! अब लिखो बिना डरे !
! अब लिखो बिना डरे !
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साथ

हर दुःख को हम सह जाते हैं;
आंसू अपने पी जाते हैं ;
जब तक मौत नहीं आती
जीवन का साथ निभाते हैं .
………………………………..

हर दिन आती हैं बाधाएँ;
पैने कंटक सी ये चुभ जाएँ;
दुष्ट निराशा तेज ताप बन
आशा-पुष्पों को मुरझाएं;
फिर भी मन में धीरज धरकर
पग-पग बढ़ते जाते हैं .
जब तक …….
……………………………..

पल-पल जिनके हित चिंतन में
उषा-संध्या-निशा बीतती ;
वे अपने धोखा दे जाते
घाव बड़े गहरे दे जाते ,
भ्रम में पड़कर ;स्वयं को छलकर
नया तराना गाते हैं .
जब तक मौत …..
…………………………….

अपमान गरल पी जाते हैं;
कुछ कहने से कतराते हैं ;
झूठ के आगे नतमस्तक हो
सच को आँख दिखाते हैं ;
आदर्शों का गला घोटकर
हम कितना इतराते हैं !
जब तक ……
शिखा कौशिक ‘नूतन ‘

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