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गरमागरम मामला -लघुकथा

! अब लिखो बिना डरे !
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कॉलेज के स्टाफ रूम में पुरुष सहकर्मियों के साथ यूँ तो रोज़ किसी न किसी मुद्दे पर विचार विनिमय होता रहता था पर आज निवेदिता को दो पुरुष सहकर्मियों की उसके प्रति की गयी टिप्पणी और उससे भी बढ़कर प्रयोग की गयी भाषा बहुत अभद्र लगी थी . हुआ ये था कि दिसंबर माह में पड़ रही सर्दी के कारण निवेदिता ने लॉन्ग गरम कोट पहना हुआ था ,इसी पर टिप्पणी करता हुआ एक पुरुष सहकर्मी निवेदिता को लक्ष्य कर बोला- ‘देखो मैडम को आज कितनी सर्दी लग रही है ,लॉन्ग गरम कोट ,नीचे पियोर वूलन के कपडे !”इस पर दूसरे पुरुष सहकर्मी ने भी उसका साथ देते हुए कहा-” बहुत ही गरमागरम मामला है .” ये सुनकर पहला पुरुष सहकर्मी ठहाका लगता हुआ बोला -” अरे आप भी क्या कह रहे हो ….गरमागरम मामला .” और उसके ये कहते ही दोनों मिलकर मुस्कुराने लगे और निवेदिता का ह्रदय पुरुष के इस आचरण पर क्षुब्ध हो उठा जो स्त्री को हर समय इस प्रकार प्रताड़ित करने से बाज नहीं आता .निवेदिता ने सोचा कि वो इनसे पूछे कि क्या आप लोग अपनी बहन के साथ बाहरी पुरुषों को ऐसी मजाक करने की इजाज़त दें सकेंगें …यदि नहीं तो आप मेरे साथ ऐसी मज़ाक कैसे कर सकते हैं ?” पर ये शब्द निवेदिता के मन में ही दबकर रह गए .
शिखा कौशिक नूतन

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