! अब लिखो बिना डरे !
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भूतल में समाई सिया उर कर रहा धिक्कार
पितृ सत्ता के समक्ष लो राम गया हार !
देवी अहिल्या को लौटाया नारी का सम्मान
अपनी सिया का साथ न दे पाया किन्तु राम
है वज्र सम ह्रदय मेरा करता हूँ मैं स्वीकार !
पितृ सत्ता के समक्ष ……..
वध किया अनाचारी का बालि हो या रावण
नारी को मिले मान बस था यही कारण
पर दिला पाया कहाँ सीता को ये अधिकार !
पितृ सत्ता के समक्ष …….
नारी नर समान है ; वस्तु नहीं नारी
एक पत्नी व्रत लिया इसीलिए भारी
पर तोड़ नहीं पाया पितृ सत्ता की दीवार !
पितृ सत्ता के समक्ष …..
अग्नि-परीक्षा सीता की अपराध था घनघोर
अपवाद न उठे कोई इस बात पर था जोर
फिर भी लगे सिया पर आरोप निराधार !
पितृ सत्ता के समक्ष लो राम गया हार !!
शिखा कौशिक
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