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आलोचना-”मोदी से नफरत क्यूँ ?”CONTEST

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प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह जी ने ३ जनवरी २०१४ को हुई अपनी प्रेसवार्ता में 24 कैरेट सच्ची कही है कि -”अगर गुजरात के मुख्यमंत्री श्री नरेंद्र मोदी प्रधानमंत्री बनते हैं तो यह देश के लिए विनाशकारी होगा .” ये मात्र मनमोहन सिंह जी की ही राय नहीं है बल्कि हर उस भारतीय की राय है जिसके दिल-दिमाग में आज भी सन २००२ के गुजरात दंगों में मारे गए मासूमों की चीखें-आहें खलबली मचा रही हैं .प्रधानमंत्री जी के इस बयान पर उखड़ते हुए बीजेपी अध्यक्ष श्री राजनाथ सिंह जी की प्रतिक्रिया कि ”श्री मोदी को एस.आई.टी.व् कोर्ट से क्लीन चिट मिल चुकी है ” राजनाथ जी के भीतर मर चुकी नैतिकता का एक प्रमाण मात्र है .उनसे पूछना चाहिए कि श्री मोदी के खिलाफ सुबूत दंगा-पीड़ित कहाँ से लायेंगें जिससे कोर्ट में उन्हें दोषी करार दिया जा सके ? क्या दंगों में बलात्कृत गर्भवती मुस्लिम महिला के पेट को चीरकर निकाला गया बच्चा देगा सुबूत या फिर अपनी जान बचाने के लिए खून से लथ-पथ व्यक्ति आपको सुबूत देगा !

ठहाका मारकर कातिल ने माँगा क़त्ल का सुबूत ,
इशारा उस तरफ करते हमारे हाथ कट गए !

सत्ता -प्राप्ति के लिए श्री अटल बिहारी बाजपेयी जी के नाम का दुरूपयोग करने वाली पार्टी के अध्यक्ष ये भूल गए हैं शायद कि गुजरात दंगों के समय अटल जी ने इन श्री मोदी को ”राज धर्म के पालन की ” सख्त सलाह दी थी .तब ये श्री मोदी मात्र गुजरात के मुख्यमंत्री थे ..अब अगर ये प्रधानमंत्री बन जाते हैं तब कौन इन्हें राज-धर्म के पालन के लिए बाध्य कर पायेगा ?
ट्विटर हो अथवा ब्लॉग हर जगह मुझसे यही प्रश्न किया जाता है कि ”मोदी से इतनी नफरत क्यूँ ?गुजरात दंगें तो गोधरा काण्ड की देन थे ” जवाब है -” गोधरा हो जाता है ..जवाब में दंगें हो जाते हैं और श्री मोदी हाथ पर हाथ रखे हुए थे !!!

शहर में आग लगाकर हाकिम है लापता ,
दहशत से झुलसे चेहरे हमारे हाथ कट गए !

यदि किसी प्रदेश का मुख्यमंत्री सभी समुदायों -धर्मों के लोगों में पारस्परिक सद्भाव बनाये रखने में असफल रहता है तो उसे इस पद पर रहने का कोई अधिकार नहीं है .”यदि मुसलमानों ने हिंदुओं की जान ली है तो हिंदुओं को ये अधिकार है कि वे मुसलमानों की जान लें . ” श्री मोदी की इस कुनीति से तो सारा भारत ही मर-कट कर ख़त्म हो जायेगा .प्रतिशोध की इस आग में घी डालने वाले श्री मोदी अभी तो केवल तीन बार गुजरात के मुख्यमंत्री बनें है यदि सत्ता प्राप्ति के लिए वे ऐसे ही कुत्सित कर्म करते रहे तो अनंत -काल तक उनकी सत्ता पर पकड़ बनी रहेगी फिर चाहे जनता का कुछ भी हो !
वास्तव में श्री मोदी जैसे राजनेता अपने कर्त्तव्य-पालन से पथ-भ्रष्ट होकर जब तक जनता के बीच धर्म के आधार पर उनमें असुरक्षा की भावना भरते रहेंगें तब तक देश में अमन-चैन की बात करना बेमानी है .धार्मिक नेता व् राजनेता जब मंचों से चिल्लाते हैं -” इस्लाम खतरे में है ” ”हिंदुओं की बहू-बेटियों की इज्जत सुरक्षित नहीं है ” तब जनता में भरी असुरक्षा की भावना अपने चरम पर पहुंचकर मरने-मारने के आक्रोश में बदल जाती है और ऐसे नेताओं में श्री मोदी का स्थान बहुत ऊपर है .उनका काम है हिंदुओं में असुरक्षा भरना कि ”केवल मैं ”गुजरात का शेर ” ”लौह पुरुष ” तुम लोगों को सुरक्षित रख सकता हूँ अथवा मुसलमान तुम्हें मार डालेंगें ” बीजेपी जिस बात पर सपा की बुराई करती है उसी के आधार पर श्री मोदी को पी.एम्. का प्रत्याशी घोषित करती है .

जिनके मखौटा मुंह पर बगल में छुरी दबी ,
हाथ मिला उनसे हमारे हाथ कट गए !

श्री मोदी के समर्थक ये कहते हुए फूले नहीं समाते कि २००२ के बाद गुजरात में दंगें नहीं हुए ये श्री मोदी की ही करामात है .हाँ ये करामात है -२००२ में हुए दंगों में न्याय के लिए भटकते दंगा-पीड़ितों के पास होगा इसका जवाब –

खुले जब लब कटी गर्दन लिखते हाथ कट गए ,
उठा न दें जो पर्दा झूठ से हमारे हाथ कट गए !

ऐसे हालातों में श्री मोदी का प्रधानमंत्री बनना न केवल देश के लिए बल्कि सम्पूर्ण मानवता के लिए विनाशकारी ही होगा .बीजेपी को अपने प्रधानमंत्री पद के उम्मीद्वार के नाम पर पुनर्विचार अवश्य करना चाहिए . अन्यथा यही कहते नज़र आयेंगें भारतवासी-
जिसने भी की खिलाफत नूतन क़त्ल हो गया ,
हम भी मुखालिफ थे हमारे हाथ कट गए !

शिखा कौशिक ‘नूतन’

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