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नूतन रामायण [भाग एक ]

! अब लिखो बिना डरे !
! अब लिखो बिना डरे !
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नूतन रामायण सुनो ,
भक्ति-भाव के साथ ,
नयन बसा लो युगल छवि
और जोड़ लो हाथ !
…………………………………
श्री गणेश को नमन है ,
दें महादेव आशीष ,
सिया राम के चरणों में
झुक रहे निज शीश !

नूतन रामायण
१-
पावन धाम
राजा दशरथ
अयोध्या नाम !
…………………………
२-
रानी तीन
एक ही चिंता
राजा पुत्रविहीन !
………………………
३-
ऋषि पधारे
ऋषयश्रंग
हर्षित भये सारे
…………………….
४-
पुत्रोत्पत्ति यज्ञ करवाया ,
अग्निकुंड से प्रकट पुरुष
खीर था लाया !
…………………………..
५-
खाकर खीर दिव्य
गर्भवती भाई रानियाँ ,
राजा दशरथ धन्य !
………………………..
६-
जन्मे पुत्र चार ,
ज्येष्ठ राम
श्री हरि अवतार !
……………………..
७-
राजा दशरथ मग्न
पाकर राम -भरत
लखन व् शत्रुघ्न !
…………………………
८-
विद्या पाई
अल्प काल में
चारो भाई !
………………………
९-
विश्वामित्र अयोध्या आये ,
विवश भए दशरथ
राम-लखन ऋषि संग पठाए !
………………………..
१०-
ताटका मारी
श्री राम
अद्भुत धनुर्धारी !
………………………..
११-
सिद्धाश्रम में यज्ञ रक्षा
सौ योजन मारीच को फेंका
मार सुबाहु मुनि सुरक्षा !
…………………………..
१२-
किया अहिल्या का उद्धार
श्री राम की महिमा
है अपरम्पार !
……………………
१३-
मिथिला गए गुरु के संग
वारा सिया को
किया शिव-धनु भंग !
……………………..
१४-
भारत-मांडवी ,लखन-उर्मिला,
श्रुतिकीर्ति -रिपुदमन
का हुआ मिलन !
……………………………
१५-
राजा दशरथ हर्षित मन
पुत्र-पुत्रवधुओं संग
अयोध्या आगमन !
………………………..
१६-
देख राम के गुण अनेक
करेंगें दशरथ
उनका राज्यभिषेक !
…………………………..
१७
अयोध्यावासी हुए प्रसन्न
पर कैकेयी दासी
मंथरा खिन्न !
…………………………
१८-
मंथरा ने कुचक्र चलाया
उकसाकर कैकेयी को
कोपभवन भिजवाया !
……………………………….
१९-
दशरथ पहुंचें कोपभवन
कुपित रानी ने मांग लिए
विस्मृत दोउ वचन !
……………………….
२०-
मिले भारत को अयोध्या राज
और राम को
चौदह बरस वनवास !
………………………………………..
२१-
रघुकुल रीत निभाई
सिया लखन संग
गए वन रघुराई !
……………………….
२२-
श्रृंगवेरपुर पहुंचें रघुराई
मित्र गुह से भेंटें
नौका मंगवाई !
……………………..
२३-
तात सुमंत्र को था समझाया
श्रीराम ने दे संदेसा
वापस उन्हें लौटाया !
…………………….
२४-
नौका पर होकर सवार
सिया ने पूजी गंगा-मत
फिर की गंगा पार !
……………………….
[जारी है ]
जय सियाराम जी की !

शिखा कौशिक ‘नूतन’

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