Menu
blogid : 12171 postid : 664285

रामलीला-मंच -लघु कथा

! अब लिखो बिना डरे !
! अब लिखो बिना डरे !
  • 580 Posts
  • 1343 Comments

किशोरी सुकन्या नानी के घर गाँव आयी हुई थी . गाँव में स्थानीय नागरिकों द्वारा रामलीला का मंचन किया जा रहा था .सुकन्या भी नानी के साथ रामलीला का मंचन देखने पहुंची .उसे ये देखकर आश्चर्य हुआ कि सीता आदि स्त्री पात्रों का अभिनय भी पुरुष कलाकार स्त्री बनकर निभा रहे थे .उसने नानी से पूछा -” नानी जी यहाँ गाँव में कोई महिला कलाकार नहीं है क्या जो आदमी ही औरत बनकर स्त्री-पात्रों का रोल निभा रहे हैं ?” उसकी नानी उसके सिर पर हल्की सी चपत लगाते हुए बोली -” अरी बावली कहीं की ! रामलीला का मंच बहुत पवित्तर होवै है .औरत जात इस पे चढ़ेगी तो ये मैला न हो जावेगा …औरते तो होवै ही हैं गन्दी !” नानी की बात सुनकर सुकन्या तपाक से बोली – ” तो ये औरते यहाँ राम-लीला देखने भी क्यूँ आती हैं .ये परिसर भी तो मैला हो जायेगा नानी जी !!!” ये कहकर सुकन्या उठी और वहाँ से घर की ओर चल दी .

शिखा कौशिक ‘नूतन’

Read Comments

    Post a comment

    Leave a Reply