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राष्ट्रभाषा पर विवाद क्यों ?

! अब लिखो बिना डरे !
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[ NEW DELHI: Two Home Ministry circulars seeking to promote official language Hindi in the social media has raked up a controversy with DMK accusing the Centre of imposing the language on non-Hindi speaking sections.]

हिंदी भाषा के सम्मान में प्रस्तुत है ये रचना -क्योंकि हिंदी किसी की दया से राष्ट्र भाषा के पद पर आसीन नहीं है .ये हिंदुस्तान का दिल है …धड़कन है .स्वाधीनता संग्राम में पूरे देश को एक सूत्र में बांध देने की कोशिश गाँधी जी ने हिंदी में ही की थी और बंगाली बाबू नेता जी सुभाष चन्द्र बोस जी ने भी बंगाली भाषा प्रेमियों की आलोचना को सहकर हिंदी को ही राष्ट्रभाषा माना था क्योकि केवल हिंदी में ही वो दम है जो पूरे भारत को जोड़ सकती है .जो इसका अपमान करे उसे कठोर दंड मिलना चाहिए ….

हिंदी तो दिल है हिंदुस्तान का
सित -तारा भाषा आसमान का
ये है प्रतीक स्वाभिमान का
क्या कहना हिंदी जबान का !
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हिंदी में ही दस कबीर ने गाकर साखी जन को जगाया
तुलसी सूर ने पद रच रच कर अपने प्रभु का यश है गाया
हिंदी में ही सुमिरण करती मीरा अपने श्याम का
क्या कहना हिंदी जबान का …….
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हिंदी सूत्र में बांध दिया था गाँधी जी ने भारत सारा
अंग्रेजों भारत को छोडो गूँज उठा था बस ये नारा
इसको तो हक़ है सम्मान का
क्या कहना हिंदी जबान का ……
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इसकी लिपि है देवनागरी ;इसमें ओज है इसमें माधुरी
आठ हैं इसकी उपबोली ;ऊख की ज्यों मीठी पोरी
हिंदी तो अर्णव है ज्ञान का
क्या कहना हिंदी जबान का …….

”जयहिंद ‘

शिखा कौशिक ‘नूतन’

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