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आने वाले लोक सभा २०१४ के चुनाव परिणाम जो भी हो पर राहुल गांधी जी ने यह साबित कर दिया है कि यदि इस समय वास्तव में कोई नेता सच्चे ह्रदय से राजनैतिक भ्रष्ट व्यवस्था को सुधारने के लिए दृढ़-संकल्प है तो वे हैं केवल -राहुल गांधी जी . उन्होंने जनता के साथ वार्तालाप का नया मार्ग चुना और माना कि पहले केवल नेता आते थे और भाषण देकर चले जाते थे पर अब ऐसा नहीं है .चुनाव-घोषणा पत्र में वही मुद्दे रखे जायेंगें जिन पर जनता मुहर लगाएगी . राहुल जी ने दस साल के राजनैतिक कैरियर में अनुभव से सीखा और अपने को जनता की उम्मीदों के अनुसार ढाला पर इस प्रक्रिया में मीडिया ने उनकी निंदा करने का मार्ग अपनाया जबकि होना तो यह चाहिए था कि मीडिया उनकी प्रशंसा करता .जनता +नेता+मीडिया =हम सबको मिलकर ही इस देश की समस्याओं के उपाय ढूंढने हैं .व्यक्तिगत पसंद को सार्वजानिक पसंद के रूप में थोपने के लिए ये तो जरूरी नहीं कि किसी उभरते हुए राष्ट्रीय व्यक्तित्व को नीचा गिराने की कोशिश की जाये पर मीडिया ने यही किया .राहुल जी की गरिमा को गिराने का कुत्सित प्रयास किया गया .एक झूठे रेप के मामले को बेवजह उछाला गया , राहुल जी को युवराज ,बुद्धू ,पप्पू और भी न जाने क्या-क्या अपमानजनक संज्ञाओं से विभूषित किया गया . मीडिया के अलावा विपक्षी नेताओं ने भी राहुल जी के प्रति अभद्र भाषा का खुलकर प्रयोग किया पर ये राहुल जी की शालीनता ही है कि उन्होंने अपनी पार्टी के कार्यकर्ताओं तक को अभद्र-भाषा के प्रयोग से रोका .यही है हमारे राष्ट्रीय -व्यक्तित्व की पहचान . महिलाओं के एक समूह से वार्तालाप के दौरान वे कहते हैं ”मैं आपसे समर्थन मांगने नहीं आया ..मैं आपसे वोट मांगने भी नहीं ..मैं चाहता हूँ आप खुद इतनी मजबूत बनें कि कोई आपका शोषण न कर पाये .” यही है वो सोच जो हम आज के अपने राष्ट्रीय नेता में चाहते हैं .निश्चित रूप से संघर्षो से राहुल जी के व्यक्तित्व में और निखार आएगा .जो हमारे देश के लिए शुभ-संकेत है .
जागरण जंक्शन में १९ मार्च २०१४ को प्रकाशित
शिखा कौशिक ‘नूतन’
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