! अब लिखो बिना डरे !
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[Remembering the Mahatma on his death anniversary]
फूल को तलवार बना देती सियासत !
मासूम को मक्कार बना देती सियासत !
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साकेत में धर रूप मंथरा का ये ,
अभिषेक को वनवास बना देती सियासत !
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शकुनि ने फेंके पांसे धर्मराज फंस गए ,
घर-घर को कुरूक्षेत्र बना देती सियासत !
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क़त्ल कर रहे मज़हब के नाम पर ,
इंसान को शैतान बना देती सियासत !
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‘नूतन’ इसी की गोली गांधी के जा लगी ,
क्यूँ गोडसे को कातिल बना देती सियासत ?
शिखा कौशिक ‘नूतन’
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