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हाँ राहुल जी में एक नेता के तौर पर बहुत कमजोरियां हैं क्योंकि ..
* वे पद के पीछे पागल नहीं हैं जबकि आज कोई भी नेता ऐसा नहीं है जो पद प्राप्ति की लालसा के बिना जनसेवा करता हो !
* वे अपने विरोधियों के लिए अभद्र भाषा का प्रयोग नहीं करते जबकि विरोधी पक्ष लगातार उनके लिए ‘बुद्धू ‘ ,’पप्पू ‘ , ‘शहज़ादा ‘ आदि आपत्तिजनक शब्दों का इस्तेमाल करता है .
*वे जनता के साथ अपने दिल की बात साझा करते हैं जबकि नेताओं का तो दिल ही नहीं होता .
* वे अपनी ही पार्टी के गलत निर्णय के विरुद्ध खड़े हो जाते हैं ….भला ऐसा भी कोई नेता होता है वरना अडवानी जी से लेकर सुषमा जी तक मोदी को पी.एम्. पद प्रत्याशी बनाये जाने पर मुंह बंद करके क्यों बैठ जाते हैं ?…वे नेता हैं !!!
*वे व्यवस्था को बदलने की बात करते हैं ..जबकि नेता तो चाहते हैं वही घिसी-पिटी व्यवस्था चलती रहे .
और सबसे बड़ी कमजोरी
वे सच बोलते हैं ….जबकि नेताओं को सच बोलने की सख्त मनाही है . इसीलिए राहुल जी बुद्धू हैं ,पप्पू हैं और शहजादे हैं !!!
शिखा कौशिक ‘नूतन’
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