Menu
blogid : 12171 postid : 759590

हे प्रभु ! कैसे ये खेल ?

! अब लिखो बिना डरे !
! अब लिखो बिना डरे !
  • 580 Posts
  • 1343 Comments

Weather pictures of the month

जन्म के ही साथ मृत्यु  जोड़  देता है ;

हे प्रभु ! ये खेल कैसे खेल लेता है ?

************************************

माता -पिता की आँखों क़ा जो है उजाला ;

अंधे की लाठी और घर क़ा जो सहारा ;

ऐसे ”श्रवण ” को भी निर्मम छीन लेता है.

हे प्रभु !ये खेल कैसे खेल लेता है ?

******************************************

हाथ में मेहदी रचाकर ,ख्वाब खुशियों के सजाकर ,

जो चली फूलों पे हँसकर ,मांग में सिन्दूर भरकर ,

ऐसी सुहागन क़ा सुहाग छीन लेता है .

हे प्रभु ! ये खेल कैसे खेल लेता है ?

******************************************

जन्म देते ही सदा को सो गयी ,

चूम भी न पाई अपने लाल को ,

नौ महीने गर्भ में रखा जिसे ,

देख भी न पाई एक क्षण उसे ,

दुधमुहे बालक की जननी छीन लेता है .

हे प्रभु ! ये खेल कैसे खेल लेता है ?

*******************************************

बांहों क़ा झूला झुलाता ,घोडा बनकर जो घुमाता ,

दुनिया क्या है ? ये बताता ,गोद में हँसकर उठाता ,

ऐसे पिता क़ा साया सिर से छीन लेता है .

हे प्रभु ये खेल कैसे खेल लेता है ?

******************************************

याद में आंसू बहाता ,राह में पलके बिछाता ,

हाथ में ले हाथ चलता ,तारे तोड़ कर वो लाता   ,

ऐसे प्रिय  को क्यूँ प्रिया से छीन लेता है .

हे प्रभु ये खेल कैसे खेल लेता है ?

********************************************

छोड़कर सुख के महल जो दुःख के बन में साथ थी ,

जिसके ह्रदय में हर समय श्री  राम नाम प्यास थी ,

ऐसी सिया को राम से क्यूँ  छीन लेता है ?

हे प्रभु ये खेल कैसे खेल लेता है ?

**********************************************

शिखा कौशिक ‘नूतन’

Read Comments

    Post a comment

    Leave a Reply